नगांव: यह प्रचंड आलोक बिखरता सूर्य, यह असंख्य अमृत किरणें बिखेरता चंद्र, यह असीम जल किलों में तरंगायमान समुंद्र, यह विशाल धरा, यह उतुंग गिरिशिखर, यह प्रवाहमान प्रभजन। भगवान ने कर्म निर्जरा के अनेक उपाय बताए हैं। उनमें से तप यह उत्तम उपाय है। जिस प्रकार जमीन, पानी, वायु की अनुकूलता होने पर वनस्पति लहलहा उठती है, वैसे ही चातुर्मास के दिनों में प्राकृतिक वातावरण भी अनुकूल होता है। तपस्या के माध्यम से करोड़ों भव के कर्म की भी हम निर्जरा कर सकते हैं। भौतिक कामना से रहित तप आत्म कल्याण की सुनहरी आभा बिखेर सकता है। इसी कड़ी में आचार्य श्री महाश्रमण के मंगल आशीर्वाद व स्वप्रेरणा से नगांव की 13 वर्ष की बालिका सुश्री खुशी सुराणा (सुपुत्री राकेश मधु सुराणा) ने आठ दिनों तक निराहार रहकर आठ की तपस्या की है। इस विकट परिस्थिति में भी छोटी-सी बालिका जो आठवीं की छात्रा है, ने मजबूत मनोबल का परिचय देते हुए अध्यात्म की ओर कदम बढ़ाया है। खुशी सुराणा ने आठ की तपस्या कर अपने परिवार व समाज का गौरव बढ़ाया है। बालिका खुशी ने आठ दिनों तक सिर्फ पानी का सेवन सूर्यास्त के पहले किया। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल व तेरापंथ युवक परिषद व समाज के अन्य व्यक्तियों ने बालिका के घर जाकर जप व धार्मिक गीतिकाओं का संगान किया। तेरापंथ सभा ने साहित्य व अन्य सामग्री भेंटकर बालिका खुशी के तप की अनुमोदना की।
नगांव : खुशी सुराना ने की आठ की तपस्या
