अल्फा (आई) ने ऊपरी असम के कुछ क्षेत्रों खासकर तिनसुकिया एवं चराईदेव जिलों के व्यापारियों एवं चाय बागान के अधिकारियों को व्हाट्सएप द्वारा मांगपत्र भेजकर धन देने की मांग की है। अल्फा (आई) द्वारा दिए गए नोटिस के बाद लोगों में दहशत है। कुछ लोगों ने इसके बारे में पुलिस से शिकायत की है। जबकि कुछ लोग परदे के पीछे ले-देकर मामले को रफा-दफा करने में लगे हुए हैं। हाल ही में अल्फा (आई) ने मोरान के नतून नगर के व्यापारी श्रवण अग्रवाल को व्हाट्सएप द्वारा मांग भेजकर 70 लाख रुपए देने की मांग की है। इस व्यापारी ने इसकी शिकायत पुलिस से की है। इस क्षेत्र के कुछ अन्य व्यापारियों एवं ईंट भट्ठे के मालिकों को भी मांग पत्र मिलने की खबर है। इसी तरह कुछ दिन पहले ऊपरी असम के चार-पांच चाय बागान के मालिकों को भी अल्फा (आई) द्वारा ऐसा ही मांग पत्र मिला था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्तमान में अल्फा (आई) को छोड़कर पूर्वोत्तर क्षेत्र के लगभग सभी आतंकी संगठन या तो शांति वार्ता में शामिल हो गए हैं या संघर्ष विराम की स्थिति में हैं।
ऐसी स्थिति में अल्फा द्वारा फिर से जबरन धन वसूली अभियान चलाना सही नहीं है। कुछ क्षेत्रों में अल्फा के नाम पर आपराधिक तत्व भी जबरन वसूली में लगे हैं। पुलिस एवं दूसरे सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। एक दशक पहले असम में सक्रिय अनेक आतंकी संगठनों द्वारा व्यापारियों, चाय बागान के मालिकों तथा अन्य लोगों को धमकी देने तथा जबरन वसूली करने की घटनाएं काफी बढ़ गई थी। इसके बाद अनेक व्यापारी असम छोड़कर भाग गए थे। कुछ जगहों पर आत्मसमर्पण करने वाले पूर्व आतंकी भी जबरन वसूली में लगे हुए हैं। राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल होने के बाद ऐसे लोगों को देश के कानून के अनुसार चलना चाहिए। बीटीसी के कुछ क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं सुनने को मिल रही हैं।
कुछ जगहों पर युवक सिंडिकेट बनाकर भी वसूली का अभियान चला रहे हैं। ऐसे तत्वों से राज्य सरकार एवं प्रशासन को कड़ाई से निपटना चाहिए। ऐसी खबर है कि अल्फा (आई) के पास धन की कमी हो गई है। कैंप चलाने के लिए पैसे का अभाव हो गया है। इसलिए अल्फा अब नए तरीके से धन वसूली में लगा हुआ है। व्यक्तिगत रूप से मांग पत्र देने के बजाए व्हाट्सएप द्वारा मांग पत्र भेजा जा रहा है। धन वसूली के लिए अल्फा अपने कैडरों को सीधे तौर पर न भेजकर अपने ओवर ग्राउंड समर्थकों के द्वारा यह काम पूरा कर रहा है। हाल ही में असम पुलिस ने ऐसे कुछ लोगों को पकड़ा है जिनसे यह खुलासा हुआ है। पुलिस ने ऐसे लोगों से वसूले गए धन राशि को भी बरामद किया है। पुलिस ने नगालैंड के मोन जिले से पकड़े गए म्यामां के नागरिक से तीन लाख रुपए बरामद किया है, जो आतंकी संगठन का रुपया था। अल्फा (आई) ने अंतर्राज्यीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं, जहां सुरक्षा बलों की उपस्थिति बहुत कम है। अल्फा फिर से राज्य में सक्रिय होना चाहता है ताकि उसका वसूली अभियान बिना रोकटोक चल सके।
अल्फा (आई) ने असम पुलिस के महानिदेशक जीपी सिंह को भी धमकी दी है। लçेकन पुलिस अल्फा की धमकी की परवाह किए बिना काम कर रही है। अगर अल्फा की गतिविधियां बढ़ती हैं तो उससे राज्य में पूंजीनिवेश प्रभावित होगा, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में कमी आएगी। इससे राज्य की विकास प्रक्रिया धीमी होगी। राज्य सरकार को इस दिशा में एक व्यापक कार्ययोजना बनाकर काम करना चाहिए। सरकार को यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि आत्मसमर्पण करने वाले आतंकी भी अवैध गतिविधियां नहीं चलाएं। म्यामां में चल रहे अशांत माहौल का अल्फा फायदा उठाना चाहता है। खुफिया सूत्रों के अनुसार अल्फा (आई) म्यामां में फिर से अपना शिविर स्थापित करना चाहता है ताकि अपनी गतिविधियों में तेजी ला सके। यह सबको मालूम है कि म्यामां में अभी आपस में ही लड़ाई चल रही है। भारत सरकार को म्यामां तथा भूटान के साथ बेहतर तालमेल स्थापित कर आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए ताकि राज्य में में भय का वातावरण पैदा न हो।