पटना हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को 500 पेड़ लगाने की शर्त पर अग्रिम-गिरफ्तारी जमानत दे दी, जिस पर बिहार लघु खनिज रियायत नियम, 1972 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया। खनन विभाग की ओर से पेश वकील ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता जिला खनन अधिकारी, शेखपुरा द्वारा निर्दिष्ट क्षेत्र में 500 पेड़ लगाने के लिए तैयार है और छह महीने की अवधि के लिए उनके रखरखाव की जिम्मेदारी भी लेता है तो उसके पास कोई विकल्प नहीं है। यदि याचिकाकर्ता को जमानत का विशेषाधिकार दिया जाता है तो उस पर आपत्ति की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को पौधे मुफ्त दिए जाएंगे। आपराधिक न्यायालय द्वारा सम्मन समाज में छवि को प्रभावित करता है, आपराधिक शिकायत के लिए सिविल कार्यवाही को छुपाना उत्पीडऩ है: केरल हाईकोर्ट  जस्टिस अंजलि कुमार शरण की पीठ ने यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील राधे शर्मा ने शर्तों का पालन करने का वचन दिया, कहा कि उपरोक्त नामित याचिकाकर्ता को उसकी गिरफ्तारी की स्थिति में या आज से छह सप्ताह की अवधि के भीतर निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने की स्थिति में 25,000/- (पच्चीस हजार रुपए) रुपए के जमानत बांड प्रस्तुत करने और इतनी ही राशि की दो जमानतें नीचे के न्यायालय की संतुष्टि के लिए पेश करने, जहां शेखपुरा पीएस के संबंध में 2018 का केस नंबर 16, सीआरपीसी की धारा 438 (2) के तहत निर्धारित शर्तों के अधीन मामला लंबित है, पर जमानत पर रिहा किया जाए।

इस आदेश के पैरा-6 में (500 पेड़ लगाने का) वचन दिया गया। शर्मा को बिहार लघु खनिज रियायत नियम, 1972 की धारा 21ए और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (ईपीए) की धारा 15 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दर्ज मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका थी। यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने उन्हें जारी किए गए सर्टिफिकेट की पर्यावरणीय शर्तों का उल्लंघन किया। इस तरह पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 15 का उल्लंघन किया। अधिनियम की धारा 15 ईपीए के उल्लंघन को पांच साल तक की कैद या एक लाख रुपए तक के जुर्माने या दोनों से दंडनीय बनाती है।