तिनसुकिया : श्रुति शिल्पी समाज, डिबू्रगढ़ और शिल्पीप्राण राजू खेमका स्मृति न्यास तिनसुकिया के संयुक्त तत्वावधान में तथा मां भारती एनजीओ, तिनसुकिया के सहयोग से शिल्पीप्राण राजू खेमका में मेमोरियल अवार्ड समारोह का आयोजन आज अपराह्न तीन बजे से शहर के नोपुखरी रोड स्थित क्रिस्टल होटल में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश वंदना एवं सत्रीय नृत्य के साथ हुआ। दिवंगत राजू खेमका के चित्र पर सम्मानित अतिथियों द्वारा श्रद्धा के फूल चढ़ाए गए। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. नगेन सैकिया, विशिष्ट अतिथि के रूप में माजुली आउनीआटी सत्र के सत्राधिकार डॉ. पीतांबर देव गोस्वामी, अरविंद महमिया (प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, राजस्थान), शिल्पी समाज, डिबू्रगढ़ के अध्यक्ष डॉ. नवज्योति गोगोई सम्मान प्राप्तकर्ता जाने-माने साहित्यकार, अनुवादक देवी प्रसाद बागड़ोदिया, प्रकृति प्रेमी राधेश्याम गोयनका, यंत्र आविष्कारक सुरेन बरुवा शिल्पीप्राण राजू खेमका स्मृति न्यास के अध्यक्ष तथा तिनसुकिया लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल संजय खेतान के अलावा कई गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम की संचालना शिल्पी समाज के सचिव चंदन पाठक एवं राजू खेमका स्मृति न्यास के वरिष्ठ सदस्य एवं कार्यक्रम संयोजक पत्रकार रोशन भारद्वाज द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
इस दौरान कलाकार राजू खेमका के जीवन जीवन पर वृत्तचित्र का प्रदर्शन किया गया तथा कलाकार कृृष्णाली पाठक द्वारा सत्रिया नृत्य प्रस्तुति के साथ कई सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए। समाजसेवी रामजीवन सुरेका द्वारा स्व. राजू खेमका की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि राजू खेमका के जीवित रहते समाज द्वारा जो सम्मान उन्हें देना चाहिए था, वह उन्हें नहीं मिला। कार्यक्रम में मिर्जा निजामुद्दीन द्वारा हिंदी एवं राजस्थानी गीत प्रस्तुत किया गया। मां भारती एनजीओ के कार्यकर्ताओं द्वारा सुधाकंठ डॉ. भूपेन हजारिका की अमर कृृति पेश की। वहीं मुख्य अतिथि डॉ. नगेन सैकिया ने भी शिल्पिप्राण राजू खेमका को याद करते हुए उन्हें असमिया एवं हिंदीभाषी समाज के समन्वय का प्रतीक बताया।
शिल्पीप्राण राजू खेमका स्मृति पुरस्कार वितरण समारोह में प्रसिद्ध लेखक देवी प्रसाद बागड़ोदिया, प्रकृृति प्रेमी राधेश्याम गोयनका और यंत्र आविष्कारक सुरेन बरुवा को इस बार शिल्पीप्राण राजू खेमका मेमोरियल अवार्ड प्रदान किया गया। विशिष्ट अतिथि माजुली आउनीआटी सत्र के सत्राधिकार डॉ. पीतांबर देव गोस्वामी ने कहा कि धर्म के अनुसार समाज के पुरोधा व्यक्ति की स्मृति को सम्मानित करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। स्व. राजू खेमका के पूर्वज भले ही सुदूर राजस्थान से आए थे। लेकिन राजू खेमका ने अपना जीवन असम की भाषा, संस्कृृति के साथ अन्य संस्कृृति के समन्वय के रूप में काम करते हुए वृहत्तर असमिया समाज गठन प्रक्रिया में विशेष योगदान दिया। मनुष्य केवल मंदिर में जाकर पूजा अर्चना कर ही धर्मात्मा नही बनता, धर्मात्मा होने के लिए परोपकारी भी होना पड़ता है और ये सभी गुण शिल्पिप्राण राजू खेमका में थे। इस सभा मे मा भारती एनजीओ की अध्यक्ष जूली अग्रवाल, सचिव अलका चूड़ीवाला, ट्रेसर अमित अग्रवाल, सलाहकार कामाख्या प्रसाद रासिवासिया, पुष्पा रासिवासिया, आरोन चुरीवाल, संजय बंसल अंकित अग्रवाल, उपाध्यक्ष कृृष्णा विश्व, चित्रा बरेलिया उपस्थित थे।