वैसे तो पाकिस्तान में आतंकी हमला होना कोई नई बात नहीं है, परंतु पिछले कुछ दिनों से इसमें भारी इजाफा देखा जा रहा है। इसी कड़ी में पिछले दिनों अफगानिस्तान की सीमा से सटे पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बाजौर में जमीयत उलेमा इस्लाम (जेयूआई-एफ) के समर्थकों को निशाना बनाया गया। जेयूआई-एफ के प्रमुख ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह पूरी तरह 'खुफिया बल की विफलता है।
जेयूआई-एफ नेता फजल-उर-रहमान ने ट्विटर पर पूछा था कि वे कहां हैं? हमारी बात कब सुनेंगे? हमारे जख्मों को कब भरेंगे? ऐसी व्यवस्था कब बनाएंगे, जिससे हमारी आने वाली पीढिय़ों की सुरक्षा हो? पाकिस्तान में आत्मघाती बम विस्फोट सहित आतंकवादी हमले लगातार बढ़ रहे हैं और कई लोग इन बढ़ते हमलों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। दूसरी ओर इस्लामिक स्टेट खुरासान (आईएसआईएस-के) का आरोप है कि जेयूआई-एफ एक पाखंडी इस्लामिक राजनीतिक समूह है, जो धर्मनिरपेक्ष सरकार और सेना का समर्थन करता है। सिर्फ इस्लामिक स्टेट ही नहीं, बल्कि अन्य चरमपंथी समूह भी पाकिस्तान में अपने राजनीतिक दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए आत्मघाती कदम उठा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 2007 में आतंकी समूह टीटीपी का गठन हुआ था। इसके बाद से यह पाकिस्तान में आत्मघाती हमलों को अंजाम दे रहा है। टीटीपी के अलावा आईएसआईएस-के उत्तरी वजीरिस्तान स्थित कमांडर हाफिज गुल बहादुर का गुट और हाल ही में गठित तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान, आत्मघाती हमलों में शामिल हैं। साथ ही बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने भी इस्लामी आतंकवादियों की राह पर चलते हुए आत्मघाती विस्फोट को युद्ध रणनीति के रूप में अपनाया है। इस्लामाबाद स्थित सिक्योरिटी थिंक-टैंक, पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज की रिपोर्ट के अनुसार देश में 2023 की पहली छमाही में एक दर्जन से अधिक आत्मघाती हमले हुए हैं, इसमें पेशावर की एक मस्जिद में हुआ विस्फोट भी शामिल है, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए थे।
शुरुआत में इस विस्फोट की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कमांडर ने ली थी, लेकिन बाद में टीटीपी प्रवक्ता ने इससे इनकार कर दिया था। इसी तरह 18 जुलाई को पेशावर में हुए आत्मघाती विस्फोट में आठ लोग घायल हो गए थे। 20 जुलाई को खैबर जिले में हुए आत्मघाती विस्फोट में चार पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई थी। इसके ठीक पांच दिन बाद एक मस्जिद में आत्मघाती हमलावर को गिरफ्तार करने के दौरान एक अन्य पुलिस अधिकारी की मौत हो गई थी। सनद रहे कि 1990 के दशक के मध्य से पाकिस्तान में कई आत्मघाती हमले हुए हैं। हालांकि उस दौरान अधिकांश बम विस्फोट की घटना को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों और सांप्रदायिक संगठनों ने अंजाम दिया था। नवंबर 1995 में आतंकवादियों ने इस्लामाबाद में मिस्र के दूतावास को निशाना बनाया था, जिसमें 17 लोग मारे गए थे। बम विस्फोट के तार अयमान अल-जवाहिरी और उस समय के मिस्र के इस्लामिक जिहाद आतंकवादी संगठन से जुड़े थे।
मई 2002 में कराची में एक बस में आत्मघाती विस्फोट में 11 फ्रांसीसी इंजीनियरों सहित 14 लोगों की मौत हो गई थी। जून 2002 और मार्च 2006 में कराची में अमरीकी वाणिज्य दूतावास पर भी आत्मघाती हमले हुए थे। इसमें एक अमरीकी राजनयिक और कई अन्य लोगों की मौत हो गई थी। यहां तक कि 2003 और 2004 में पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं को भी निशाना बनाया गया था, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज भी शामिल हैं। हालांकि, ये दोनों हमले में बच गए थे। 2005 में पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-झांगवी ने बलूचिस्तान प्रांत के झाल मगसी जिले में पीर राखील शाह और इस्लामाबाद में बारी इमाम की दरगाहों पर आत्मघाती हमले किए थे। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में जो भी हो रहा है, वह मानवता के खिलाफ है, भले ही इसे करने वाले खुद को धाॢमक बताते हैं।