मणिपुर में दो युवकों की हत्या का मामला सामने आने के बाद एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। पिछले 6 जुलाई को मणिपुर में दो युवकों का अपहरण हुआ था। उसकी हत्या की तस्वीर सामने आने के बाद इस घटना के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुआ। पुलिस ने प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े एवं लाठी चार्ज किया। पुलिस की इस कार्रवाई में 45 विद्यार्थी घायल हो गए। मामला इतना संगीन हो गया कि मणिपुर सरकार को इंटरनेट सेवा पांच दिन के लिए बंद करनी पड़ी है, जो 1 अक्तूबर तक प्रभावी रहेगी। मणिपुर सरकार के अनुरोध पर केंद्र ने दो युवकों की हत्या का मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इंफाल घाटी के 19 थानों एवं असम से सटे जिरीबाम इलाकों को छोड़कर पूरे मणिपुर में अफस्पा लागू कर दिया गया है। हालांकि मणिपुर प्रशासन राज्य के सभी क्षेत्रों में अफस्पा लागू करने के पक्ष में था। सीबीआई के विशेष निदेशक अजय भटनागर के नेतृत्व में सीबीआई की टीम मणिपुर पहुंच चुकी है तथा घटना की जांच शुरू कर दी है। उपद्रवियों ने मणिपुर के थाउबल स्थित भाजपा कार्यालय को भी फूंक दिया।

पिछले मई माह के प्रथम सप्ताह से मणिपुर में शुरू हुआ अशांति को दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। मणिपुर की घटना की गूंज संयुक्त राष्ट्र संघ तक पहुंच चुकी है। अमरीका के न्यूयार्क में विदेशी संबंध शीर्षक विषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस शंकर ने मणिपुर के मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार स्थिति को सामान्य बनाने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि अप्रवासी लोगों के कारण समस्या पैदा हो रही है। जयशंकर ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे एक लंबा इतिहास है जिस पर गौर करने की जरुरत है। मणिपुर की जातिगत घटना के लिए बाहर से आने वाले आतंकी तत्व ज्यादा जिम्मेदार हैं। मणिपुर और म्यामां की सीमा लगती है। खुली सीमा से आतंकी मणिपुर में घुस आते हैं तथा आतंकी गतिविधियों को आसानी से अंजाम दे देते हैं। मणिपुर में सक्रिय आतंकी समूहों यूएनएलएफ, पीएलए, केवाईकेएल, प्रीपाक एवं केसीपी म्यामां में बेस बनाए हुए हैं।

ऐसी स्थिति में इनके आवागमन को रोकना कठिन चुनौती बना हुआ है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन ङ्क्षसह ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि भारत-पाक सीमा की तरह मणिपुर-म्यामां की सीमा पर भी बाड़ लगाया जाए। इससे आतंकियों के आवागमन पर रोक लगेगी। विपक्षी पाॢटयां संसद के भीतर तथा बाहर मोदी सरकार को लगातार घेर रही है। कांग्रेस की मांग है कि बीरेन सिंह सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। विपक्षी पार्टियां मणिपुर में बिगड़ती स्थिति के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी घेर रही है। सीमावर्ती राज्य मणिपुर में लगातार तनाव की स्थिति गंभीर ङ्क्षचता का विषय है। स्थिति को बिगाडऩे में चीन जैसी विदेशी शक्तियों के हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता। भारत सरकार को म्यामां की सरकार के समक्ष इस मामले को प्रमुखता से उठाना चाहिए। साथ ही केंद्र एवं राज्य सरकार को मणिपुर में सामान्य स्थिति बनाने तथा लोगों के बीच विश्वास पैदा करने के लिए कारगर कदम उठाना चाहिए। इस काम में सामाजिक संगठनों की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण है।