चीन में आयोजित एशियाई खेलों में भारत के खिलाडिय़ों ने पहली बार पदकों का शतक लगाकर एक नया कीॢतमान स्थापित किया है। भारत ने चीन द्वारा पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाए जाने के बावजूद कुल 107 पदक हासिल किया। वर्ष 2018 में भारत ने एशियाई खेलों में कुल 70 पदक हासिल किये थे। वर्ष 2014 के बाद भारत ने खेल के क्षेत्रों में लगातार प्रगति की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एशियाई खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाडिय़ों से मुलाकात कर उन्हें शाबासी दी है। दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री ने पदक विजेता खिलाडिय़ों का उत्साहवद्र्धन किया तथा कहा कि सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। स्वर्ण पदकों की बारिश के लिए खिलाडिय़ों के प्रदर्शन को सराहा। ट्रैक एवं फील्ड प्रतियोगिताओं में लड़कियों के प्रदर्शन की प्रधानमंत्री ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। हमारे देश के एथलीटों की मेहनत और पदक जीतने का जज्बा तथा सरकार की खेल नीति ने भारतीय खिलाडिय़ों को बेहतर प्रदर्शन का मार्ग प्रशस्त किया। इस प्रदर्शन से खिलाडिय़ों का मनोबल बढ़ेगा, साथ ही देश के युवा और उभरते खिलाडिय़ों को इससे नई प्रेरणा मिलेगी।
आने वाले समय में खेलों में और निवेश होगा। इससे पहले पैरालंपिक गेम्स में 19, डेफ ओलंपिक में 20, राष्ट्रमंडल खेल में 21 पदक भारतीय खिलाडिय़ों ने जीता था। भारत लगातार खेल के क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन कर रहा है। एशियाई खेल के 72 साल के इतिहास में पहली बार भारत के एथलीटों ने कई विश्व रिकॉर्ड तोड़े एवं कई एशियन रिकॉर्ड भी बनाए। भारत ने एथलेटिक्स में 29 मेडल, शूङ्क्षटग में 22 मेडल एवं ऑर्चरी में 9 मेडल हासिल किये। भारत ने वर्ष 2018 के मुकाबले इस एशियाई खेल में पदकों की संख्या के क्षेत्र में 52 प्रतिशत की वृद्धि की है। मोदी सरकार ने देश के स्पोट्र्स इको सिस्टम में बदलाव किया है। जिसके बाद पूरे देश में प्रतिभा खोज का काम शुरू हुआ है। वर्ष 2014 में टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना की शुरुआत हुई थी जिसके तहत प्रतिभाशाली एथलीटों को वो सभी सुविधा देने की बात थी जिससे वे विश्व स्तरीय परिणाम ला सके। इस बार 124 खेलो इंडिया के एथलीटों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया, जिन्होंने काफी शानदार प्रदर्शन किया।
देश के विभिन्न हिस्सों में स्पोट्र्स ढांचा बनाया गया जिससे हर खिलाड़ी को सुविधा मिल सके। आज पूरे देश में 750 खेलों इंडिया सेंटर स्थापित हैं। अगले वर्ष तक इस संख्या को बढ़ाकर 1000 तक पहुंचाने की योजना है। सरकार ने खेल बजट में वर्ष 2013-14 के मुकाबले वर्ष 2022-23 में तीन गुना वृद्धि की है। एशियाई खेलों के लिए ट्रेङ्क्षनग कैंपों का आयोजन किया गया जिसमें 275 विदेशी विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया। एथलीटों को जरुरत के मुताबिक विदेश में अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं के साथ प्रशिक्षण दिलाया गया। यही कारण है कि एथलेटिक के क्षेत्र में भारत ने शानदार प्रदर्शन किया। महिला खिलाडिय़ों ने भी एशियाई खेलों में 50.2 प्रतिशत पदक दिलाते हुए शानदार प्रदर्शन किया।
महिलाओं ने यहां साबित कर दिया कि वे खेल के क्षेत्र में भी पुरुषों से पीछे नहीं हैं। इस बार महिलाओं ने पहली बार क्रिकेट, टेबल टेनिस, गोल्फ जैसे खेलों में पदक हासिल किया। तीन हजार मीटर स्टीपलचेज और 50 मीटर राइफल में महिला खिलाडिय़ों ने स्वर्ण एवं कांस्य पदक दोनों पर कब्जा किया। दस मीटर पिस्टल में गोल्ड और रजत दोनों मेडल भारतीय महिला खिलाडिय़ों के खाते में आए। सरकार ने भी महिलाओं को खेलों में आगे बढ़ाने के लिए इंडिया वुमेन लीग का आयोजन कराया था। पेरिस ओलंपिक के लिए भी खिलाडिय़ों का प्रशिक्षण पिछले दो वर्षों से जारी है। सरकार ने तीन नेशनल सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस की सुविधाएं उन्नत कर दी है। इन जगहों पर खिलाडिय़ों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधा मिल रही है। भविष्य में भी भारतीय खिलाडिय़ों को अपने प्रदर्शन में और सुधार करना होगा, तभी हमलोग खेल के क्षेत्र में और बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।