गुवाहाटी : आठगांव स्थित मारवाड़ी हॉस्पिटल में प्रसिद्ध किडनी रोग विशेषज्ञ और बैलूर स्थित सीएमसी हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ.चाको के जैकब ने अस्पताल की व्यवस्था का अवलोकन करने के पश्चात अस्पताल प्रबंधन को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इसके पश्चात एक संवाददाता सम्मेलन में अस्पताल के महामंत्री आरएस जोशी ने डॉ. सी के जैकब का परिचय करवाया। डॉ. जैकब ने संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि भारत में 100 रोगियों के बीच 10 से 15 रोगी किडनी के बीमारी से ग्रसित होते हैं। पर ऐसा नहीं है कि यह इलाज करने लायक नहीं होते हैं। अगर किडनी की जांच करें या खून, पेशाब, टेस्ट करें तो किडनी का इलाज संभव होता है।

किडनी की बीमारी में कई सालों के बाद धीरे-धीरे किडनी का फंक्शन खराब होकर किडनी काम करना बंद कर देती है। कई कारणों से किडनी खराब हो जाती है। इसके लिए इलाज के अलावा खून की सफाई करना, जिसे डायलिसिस कहते हैं, यह पहला उपाय है। दूसरा उपाय पैरोंटोनीयल सिस्टम है, जिसके द्वारा अपने घर में ही पेट में सुई लगाकर सफाई कर सकते हैं। तीसरा उपाय किडनी बदलना है। किडनी प्रत्यारोपण के नियमों के बारे में बताते हुए डॉ. जैकब ने आगे कहा कि अस्पताल को किडनी प्रत्यारोपण के लिए सरकारी पंजीयन करना जरूरी है तथा हर महीने सरकार को किडनी प्रत्यारोपण की रिपोर्ट देना जरूरी है।

किडनी फेल के लक्षण बताते हुए डॉ. जैकब ने आगे बताया कि पांव में सूजन, पेशाब में खून आना किडनी खराब होने के लक्षण है। उच्च रक्तचाप, खून में शुगर की मात्रा अधिक होने पर किडनी खराब हो जाती है। खान-पान के मामले में ज्यादा नमक खाना, अचार, पापड़ ज्यादा मात्रा में खाने से किडनी पर इसका असर पड़ता है। 90 प्रतिशत किडनी खराब हो जाए तो इलाज से ठीक हो सकती है। लेकिन अतिरिक्त अंतिम 10 प्रतिशत में डायलिसिस ही इसका एकमात्र उपाय है। संवाददाता सम्मेलन में अस्पताल अधीक्षक रोहित उपाध्याय ने अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण सुविधा के बारे में पत्रकारों को बताया। संवाददाता सम्मेलन में एसएम फाउंडेशन के सुशील जैन भी उपस्थित थे।