फिलिस्तीनी उग्रवादी संगठन हमास की ओर से बीते 7 अक्तूबर को इजराइल पर अभूतपूर्व हमला करने के बाद से हिंसा भड़की हुई है। अब तक दोनों ओर से कई हजार लोग मारे जा चुके हैं और जिस तरह से तानातनी है, उनसे लगता है कि गजा का इलाका एक बार विनाश की ओर बढ़ रहा है क्योंकि इजराइल जमीनी लड़ाई की तैयारी पूरी कर ली है। हमास जैसे एक छोटे समूह ने भी इजराइल के अंदर से 130 से अधिक लोगों को बंदी बना लिया और उसकी ओर से इजराइल सरकार की ओर से कैद किए गए हजारों फिलिस्तीनियों की रिहाई की मांग की जा रही है। हमास की सैन्य शाखा के नेता मोहम्मद दईफ को वर्तमान का ओसामा बिन लादेन बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि ऑपरेशन अल-अक्सा स्टॉर्म गाजा की 16 साल की नाकाबंदी, इजरायली कब्जे और हाल की घटनाओं की एक शृंखला के जवाब में था। दईफ 2002 से हमास की सैन्य शाखा के प्रमुख हैं। उसका जन्म 1960 के दशक के दौरान गाजा में खान यूनिस शरणार्थी शिविर में मोहम्मद दीब इब्राहिम अल-मसरी के रूप में हुआ था। उसके पिता ने 1950 के दशक में सशस्त्र फिलिस्तीनियों की ओर से उस क्षेत्र में की गई छापेमारी में हिस्सा लिया था जहां हमास के लड़ाकों ने पिछले शनिवार को इजरायल में घुसपैठ की थी। उसके बाद वे गाजा के इस्लामिक विश्वविद्यालय में शामिल हो गए।
हमास की स्थापना 1980 के दशक के अंत में वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर इजरायल के कब्जे के खिलाफ पहले फिलिस्तीनी इंतिफादा या विद्र्रोह की शुरुआत के बाद हुई थी। दोनों क्षेत्रों पर इजरायली कब्जा 1967 के इजरायल-अरब युद्ध के दौरान हुआ। जब दईफ की उम्र 20 साल के आसपास थी तो उन्हें इजरायलियों द्वारा जेल भी भेजा गया, जिन्हें आत्मघाती बम विस्फोटों में दर्जनों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसमें 1996 में हुए विस्फोट में 50 से अधिक नागरिक मारे गए थे, भी शामिल था। ये बम विस्फोट ओस्लो शांति समझौते के जवाब में थे, जिस पर 1990 के दशक की शुरुआत में इजराइल और अधिकांश फिलिस्तीनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। समझौते का उद्देश्य इजरायल के साथ एक फिलिस्तीनी राज्य के रूप में फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय लाना था, लेकिन हमास इस आधार पर इसके खिलाफ था कि 1948 के अरब-इजराइल युद्ध में इजराइल ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। यह तर्क दिया गया कि समझौते का प्रभावी अर्थ फिलिस्तीन के लिए क्षेत्र का नुकसान होगा। दईफ आगे चलकर हमास की सैन्य शाखा का प्रमुख बन गया।
अमरीकी विदेश विभाग ने उसे आतंकवादी घोषित कर दिया। इसमें कहा गया है कि इजरायल और हमास के बीच 2014 के संघर्ष के दौरान, दईफ हमास की आक्रामक रणनीति का मास्टरमाइंड था। 2014 में, इजराइल ने पुष्टि की कि उसने एक घर पर लक्षित हमले के साथ दईफ की हत्या करने की कोशिश की, जिसमें माना जाता है कि उसकी पत्नी और सात महीने का बेटा मारा गया था। इसके बाद वह लगातार इजराइलियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता रहा और हमास को लगता है कि वह इस बार रणनीतिक रूप से काफी हद तक सफल रहा। इस बार हमास ने इजरायल की खुफिया तंत्र को धत्ता बताते हुए इजरायल में घुसकर हमला किया और हजारों की संख्या में निर्दोष लोगों को मौत की नींद सुलाने में कामयाब रहा। परिणामत: वर्तमान समय में इजरायल और हमास के बीच लड़ाई का सिलसिला जारी है, परंतु दुर्भाग्य है कि इस युद्ध में वे लोग ही मारे जा रहे हैं, जिनका इस युद्ध से कोई संबंध नहीं है, परंतु इस मानव संकट को दूर करने का कोई खास प्रयास नहीं किया जा रहा है। एक ओर इजरायल सरकार और हमास के लड़ाके लड़ रहे हैं, परंतु मौत आम इजरायली और फिलस्तीन के लोगों की हो रही है। आज पूरी दुनिया दो भागों में बंटी दिख रही है, परंतु मृतकों और उनके परिजनों का आंसू पोंछने वाला कोई नहीं है। युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है।