इजरायली सेना तथा हमास के बीच गाजापट्टी में चल रहा युद्ध ग्यारहवें दिन में प्रवेश कर गया है। दोनों ही तरफ से अब तक 4400 लोगों के मारे जाने की खबर है। इजरायल के 1400 लोग मारे गए हैं, जबकि गाजा के 3000 लोग मारे गए हैं, जिसमें आतंकी संगठन हमास के सात कमांडर भी शामिल हैं। लगातार यह युद्ध खतरनाक रूप लेता जा रहा है। पिछली रात गाजा के अल-अहली अस्पताल पर हमला हुआ जिसमें करीब 500 लोगों के मारे जाने की खबर है। इस घटना को लेकर इजरायल और हमास की तरफ से परस्पर विरोधी दावे किए जा रहे हैं। हमास का कहना है कि इजरायल द्वारा अस्पताल पर किये गए हमले में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं। इस घटना को लेकर मध्य-पूर्व सहित अरब देशों में काफी आक्रोश है।
हालांकि इजरायल ने इस घटना के लिए फिलिस्तीनी इस्लामिक जेहाद (पीआईजे) आतंकी संगठन को जिम्मेवार ठहराया है। इजरायली सेना ने अपने बयान के समर्थन में वीडियो फुटेज भी जारी किया है। कनाडा, जर्मनी, रूस, कतर, मिस्र, भारत तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस घटना की निंदा की है। प्रश्न यह है कि अस्पताल पर हमला जिसके द्वारा भी किया गया हो, वह निंदनीय है। इस हमले को लेकर इजरायल तथा अरब देशों के बीच चल रही शांति पहल को जोरदार झटका लगा है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इजरायल-गाजा संघर्ष को लेकर इजरायल पहुंचे थे। यहां की यात्रा के बाद उन्हें जोर्डन जाना था, जहां उनकी मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अलसीसी, जोर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय तथा फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ उनकी बैठक होने वाली थी। लेकिन अस्पताल पर हुए हमले के बाद जोर्डन ने इस बैठक को रद्द कर दिया। अब जो बाइडेन केवल इजरायली नेताओं के साथ बैठक कर अपने देश वापस लौट चुके हैं।
अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू तथा वहां के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक के बाद यह कह कर इजरायल को क्लीन चिट दे दी है कि अल-अहली अस्पताल पर हुए हमले में इजरायल का कोई हाथ नहीं है। यह काम वहां के आतंकी संगठन का है। पीआईजे का गाजा में भी अपना प्रभाव है। गाजा के अलावा वेस्ट बैंक तथा सीरिया में भी पीआईजे की गतिविधियां चलती है। बाइडेन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अमरीका इस युद्ध में इजरायल के साथ मजबूती से खड़ा है। अमरीका इजरायल को हथियार, आर्थिक सहायता तथा अन्य जरूरी चीजों की आपूर्ति जारी रखेगा। इससे पहले अमरीकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने भी कहा था कि हम इजरायल में एक यहूदी प्रतिनिधि के रूप में आये हैं। बाइडेन के इस समर्थन से इजरायल को निश्चित रूप से मजबूती मिली है। इससे इजरायल के दुश्मनों खासकर ईरान को जरूर धक्का लगेगा। ईरान अरब के देशों को इजरायल के खिलाफ एकजुट करने के लिए लगातार कूटनीतिक पहल कर रहा है। अमरीका और ईरान की दुश्मनी जगजाहिर है। अगर ईरान हमास के समर्थन में सीधे तौर पर मैदान में उतरता है तो अमरीका इजरायल के पक्ष में सीधे कूद सकता है। भूमध्य सागर में इजरायली सीमा के पास अमरीका के दो विशाल जंगी जहाज खड़े हैं, जो किसी भी समय जरुरत पड़ने पर इजरायल के पक्ष में उतर सकते हैं।
आज पूरे दिन इस युद्ध को लेकर कूटनीतिक पहल का दौर जारी रहा। जहां अमरीका के साथ-साथ जर्मनी के चांसलर इजरायल पहुंच कर एकजुटता दिखाने में पीछे नहीं रहे। फ्रांस के राष्ट्रपति तथा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी इजरायल के पक्ष में मजबूती से खड़े हैं। इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी ने भी बयान देकर इजरायल का समर्थन किया है। इधर रूस के राष्ट्रपति पुतिन दुनिया में बदलते समीकरण को देखते हुए चीन पहुंचे हैं तथा उन्होंने इजरायल-हमास युद्ध पर विस्तार से चर्चा की है। अगर इजरायल-हमास युद्ध विश्वयुद्ध की ओर बढ़ता है तो रूस-चीन-ईरान गठबंधन एक साथ आ सकता है। मध्य-पूर्व एवं अरब देशों के बीच इजरायल के विरोध के मुद्दे पर एकमत राय नहीं है। फिलहाल अमरीकी समर्थन के बाद इजरायल जोर-शोर से हमास पर आक्रमण जारी रखेगा, किंतु उसे इस बात का भी ख्याल रखना पड़ेगा कि अस्पताल, स्कूल जैसे संस्थानों पर हमला न हो। अगर ऐसा होता है तो विश्व जनमत इजरायल के खिलाफ हो सकता है।