दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि तीन महीने बाद ही जमानत अर्जी पर सुनवाई होगी। इसका मतलब यह है कि अगले तीन महीने तक सिसोदिया को जेल में ही रहना होगा। कोर्ट ने जांच एजेंसी को यह भी कहा है कि वह छह महीने के भीतर इस केस की सुनवाई पूरी करे। मालूम हो कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तथा सीबीआई दिल्ली के शराब घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही है। सीबीआई नई शराब नीति बनाते वक्त अनियमितता को केंद्रित कर और ईडी शराब नीति बनाने एवं लागू करने में मनी लांड्रिंग के आरोप की जांच कर रही है। आम आदमी पार्टी (आप) पहले यह कह रही थी ईडी और सीबीआई की जांच कोर्ट में ठहर नहीं पाएगी। इससे आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगा है। अब ईडी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए 2 नवंबर को बुलाया है। इससे पहले पिछले 16 अप्रैल को केजरीवाल से पूछताछ हो चुकी है। ईडी के वर्तमान समन से केजरीवाल पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। इससे पहले ईडी ने शराब घोटाले में गिरफ्तार व्यवसायी के बयान के आधार पर संजय सिंह को गिरफ्तार किया था।
आप को उम्मीद थी कि कोर्ट से संजय सिंह को जल्द जमानत मिल जाएगी। लेकिन एक महीना होने के बावजूद संजय सिंह को जेल में ही रहना पड़ रहा है। इससे पहले ईडी तेलंगाना के बीआरएस नेता के कविता से पूछताछ कर चुकी है। इस मामले को लेकर भाजपा एवं आप के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। आप नेताओं का आरोप है कि भाजपा आप को बर्बाद करने के लिए जांच एजेंसियों का सहारा ले रही है। भाजपा आप की लोकप्रियता से डर गई है। दूसरी तरफ भाजपा नेताओं का कहना है कि अपने को कट्टर ईमानदार कहने वाले आप के नेता भ्रष्टाचार के जाल में फंसते जा रहे हैं। जांच एजेंसियां बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के काम कर रही हंै। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आप को भी एक पक्ष बनाने के लिए उठाए गए सवाल के बाद बहस शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी अगर जनप्रतिनिधित्व कानून का पालन नहीं करती है तो उसकी मान्यता रद्द हो सकती है। लेकिन यह काम केवल चुनाव आयोग के ही अधिकार क्षेत्र में है। पूछताछ के बाद अगर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी होती है तो आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगेगा। आप मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना एवं मिजोरम में प्रतिद्वंद्विता कर रही है। खासकर उत्तर भारत के तीनों राज्यों में आप कांग्रेस तथा भाजपा दोनों को चुनौती दे रही है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने के बाद पार्टी में नए उत्साह का संचार हुआ है।
लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं मनीष सिसोदिया एवं संजय सिंह की गिरफ्तारी से प्रचार अभियान को निश्चित रूप से झटका लगा है। सत्येन्द्र जैन पहले से ही मनी लांड्रिंग केस में जांच एजेंसी के शिकंजे में है। अब सारा दारोमदार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर केंद्रित है। मुख्यमंत्री आवास निर्माण घोटाले की भी जांच शुरू हो गई है। उस मामले में भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर शक की सुई घूम रही है। अगला कुछ दिन आम आदमी पार्टी के लिए कठिन दौर होगा। वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली तथा पंजाब से ताल ठोकने वाली आम आदमी पार्टी की तैयारी भी प्रभावित होगी। एक समय अपने को प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार बताने वाले अरविंद केजरीवाल अपनी साख की लड़ाई लड़ रहे हैं। अन्ना हजारे के आंदोलन से भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए राजनीति में आए अरविंद केजरीवाल एवं उनकी पार्टी का भ्रष्टाचार के दलदल में फंसना चौंकाने वाला है। इसको लेकर राजनीतिक हलकों में कई तरह के प्रश्न उठाये जा रहे हैं। देखना है कि केजरीवाल पर शिकंजा कसने के बाद विपक्षी एकता कितनी प्रभावित होती है। वैसे पहले से कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी में सीटों के तालमेल को लेकर तलवार खिंची हुई है। आप भी कांग्रेस को सीटों के तालमेल के मुद्दे पर चुनौती दे रही है। कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी फिलहाल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।