भले ही इजरायल और हमास के बीच की लड़ाई को दो देशों के बीच का संघर्ष करार नहीं दिया जा रहा है, परंतु इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर पड़ रहा है। यदि यह जंग तुरंत नहीं रोकी गई तो इससे विश्वयुद्ध का खतरा और बढ़ जाएगा। दुर्भाग्य है कि यह जंग खत्म होने की जगह और भड़कती जा रही है। इजरायल ने हमास को खत्म करने की कसम खा ली है तो दूसरी ओर हमास, हिज्बुल्लाह, हूती और इस्लामिक जेहाद ने इजराइल को नेस्तानाबूद करने का ब्लूप्रिंट बना लिया है और उसी के अनुसार अपने कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। परिणामतः इसका खमियाजा दोनों तरफ के आम लोगों को भोगना पड़ रहा है। गाजा में इंसानियत खत्म हो चुकी है। छोटे बच्चे मर रहे हैं और महिलाएं भी इजराइली सैनिकों के अटैक में मारी जा रही हैं। पिछले सात अक्तूबर को हमास ने इजरायल में घुसकर आम इजराइलियों की हत्या की, जो किसी भी हालत में सही करार नहीं दिया जा सकता, निरीह लोगों को मारकर कोई भी अपनी शेखी नहीं बघार सकता, यदि कोई ऐसा करता है तो वह इंसानियत का दुश्मन है और उसके कारनामे कतई भी सही और ठीक नहीं हैं, परंतु उसके जबाव में इजराइल जो भी कर रहा है, वह शर्मनाक है और जो उसका समर्थन कर रहे हैं, वे भी इंसानियत के दुश्मन हैं और अमरीका, इंग्लैंड, अस्ट्रेलिया और जर्मनी को इसी श्रेणी में रखा जा सकता है। युद्ध में दोनों ओर से हजारों की संख्या में लोग मारे जा रहे हैं, वहीं इस युद्ध का असर अब ग्लोबल इकॉनामी पर दिखने लगा है।
अभी इकॉनामी रूस और यूक्रेन युद्ध से ठीक से संभल भी नहीं पाई थी कि इजरायल और हमास की जंग ने उसे फिर से झटका दे दिया। युद्ध को लेकर वर्ल्ड बैंक की चेतावनी ने चिंता और बढ़ा दी है। वर्ल्ड बैंक की इस चेतावनी से दुनिया समेत भारत की परेशानी भी बढ़ गई है। अपनी चेतावनी में वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि इजरायल-हमास युद्ध अगर और लंबा खींचता है तो इस जंग का असर ग्लोबल इकॉनामी पर पड़ेगा। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक अगर इजरायल और हमास के बीच युद्ध के कारण मिडिल ईस्ट में 50 साल पहले हुए संघर्ष को दोहराया जाता है तो तेल की कीमतें 150 डॉलर प्रति बैरल से अधिक की रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच सकती हैं। इस युद्ध का कमोडिटी सेक्टर पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। इसके कारण कच्चे तेल की कीमत में बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है। तेल की कीमत को लेकर चिंता जाहिर करते हुए वर्ल्ड बैंक ने कहा कि अगर इजरायल-हमास का युद्ध बड़ा रूप लेता है तो कच्चे तेल की आपूर्ति बाधित होगी। प्रतिदिन तेल आपूर्ति में 6 से 8 मिलियन बैरल तक की कमी हो सकती है। आपूर्ति कम होने पर कीमत में बढ़ोतरी होगी। ये बढ़ोतरी 150 से 157 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है।
वर्ल्ड बैंक की चेतावनी के मुताबिक अगर युद्ध जारी रहा और कच्चे तेल की कीमत में तेजी आई तो भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में महंगाई और बढ़ जाएगी। वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक जंग के कारण कच्चे तेल की कीमत 150 डॉलर बैरल से ऊपर पहुंच सकती है। ऐसा होने पर एनर्जी और फूड प्रोडक्ट्स की कीमतों में असामान्य उछाल देखने को मिल सकता है। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विघटनकारी प्रभाव देखने को मिला था। अब एक बार फिर से वही स्थिति बन रही है। तेल की कीमतों में तेजी का मतलब है सीधे खाद्य पदार्थों की कीमत में तगड़ा उछाल। खाद्य मूल्य बढ़ने का मतलब है सीधा आम जनता पर इसका असर होना। चूंकि भारत अपनी जरूरत का अधिकांश हिस्सा आयात करता है, ऐसे में कच्चे तेल की कीमत में असर होने पर भारत की मुश्किल और बढ़ेगी। इजराइल और हमास युद्ध का असर तेल की कीमतों पर दिखने लगा है। बुधवार को क्रूड ऑयल के रेट में लगभग 2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
इस युद्ध का असर सिर्फ तेल की कीमतों तक सीमित नहीं रहेगा। डायमंड और ज्वेलरी पर भी इस जंग का असर होगा। इजरायल के साथ आयात-निर्यात प्रभावित होने से कई सेक्टर प्रभावित होंगे। फार्मा सेक्टर पर भी असर होगा। फॉमास्युटिकल्स का लीडर कहलाने वाला भारत पश्चिमी एशिया, उत्तरी अफ्रीका और यूरोप के कई देशों को बड़े पैमाने पर दवा का निर्यात करता है। युद्ध के कारण इसमें दिक्कत आ सकती है। इतना ही नहीं इजराइल-हमास युद्ध के कारण भारत के बड़े कारोबारी घराने, जिसका कारोबार इजरायल में फैला है, उन्हें दिक्कत हो सकती है। युद्ध लंबा चला तो मुश्किलें आम आदमी तक पहुंच जाएगी। बचत, घर या कार के लोन की किस्त, निवेश से लेकर रोजमर्रा की चीजें और मंहगी हो जाएंगी। नौकरियों पर असर होगा।