इजरायल और हमास के बीच शुरू हुआ युद्ध 40 दिन पार कर गया है। इस युद्ध में अब तक 11 हजार से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी है। पिछले 7 अक्तूबर को हमास के आतंकियों द्वारा इजरायल पर किये गए हमले में 1200 इजरायली लोगों की मौत हो गई थी। अब यह आंकड़ा बढ़कर और ज्यादा हो गया है। इजरायल द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में गाजा शहर तहस-नहस हो गया है। अब तो इजरायली सेना गाजा पर नियंत्रण करने का दावा भी किया है। इजरायली सेना ने गाजा शहर को दो भागों में बांट दिया है। सेना ने हमास के 600 सुरंगों को नष्ट करने का दावा किया है। इजरायली सेना के हमले में हमास के 60 से ज्यादा कमांडर मारे जा चुके हैं। इजरायली सेना ने गाजा के सबसे बड़े अस्पताल अल-शिफा को घेर लिया है। सुरक्षा बलों ने अस्पताल के बिल्डिंग को तोड़ने के लिए बुलडोजर मंगवा लिया है। इजरायल का दावा है कि अल-शिफा अस्पताल के अंदर के सुरंग में हमास का कमांड सेंटर है। सुरंग में हमास के गोला-बारूद, हथियार एवं अन्य उपकरणों का भंडार मौजूद है। किसी भी वक्त इजरायली सेना अपना अभियान शुरू कर सकती है। इजरायली हमले पर अरब देश दो भागों में बंटे नजर आ रहे हैं।

ईरान के अनुरोध पर तेल उत्पादक देशों (ओआईसी) तथा अरब लीग की बैठक हुई थी, जिसमें इजरायली सैनिकों द्वारा निर्दोष लोगों पर किये जा रहे हमले की कड़ी निंदा की गई है। सभी देशों ने एक स्वर से तत्काल युद्ध रोकने की मांग की है, लेकिन इजरायल को तेल की आपूर्ति रोकने तथा राजनयिक संबंध खत्म करने के मुद्दे पर अरब देशों के बीच मतभेद बना हुआ है। सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र एवं बहरीन जैसे देश इसके पक्ष में नहीं हैं। ईरान, कतर जैसे देश चाहते थे कि इजरायल को तेल की आपूॢत रोका जाए तथा राजनयिक संबंध खत्म किया जाए। सउदी अरब एवं संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश इजरायल से संबंध सुधारने के लिए प्रयास कर रहे थे, उसी बीच हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया। ईरान भी इजरायल-हमास युद्ध में खुलकर हमास के साथ आने से परहेज कर रहा है। ईरान को मालूम है कि अगर वह इस युद्ध में खुलकर हमास के साथ आया तो अमरीका चुपचाप नहीं बैठेगा। इजरायल एवं ईरान के नजदीक भूमध्य सागर में अमरीका के कई जंगी जहाज खड़े हैं जिसमें परमाणु क्षमता से लैस युद्धपोत भी शामिल हैं। अगर ईरान ने जरा-सा गुस्ताखी की तो अमरीका उसके परमाणु संयंत्र को मिट्टी में मिला देगा।

अरब देशों का साथ नहीं मिलने के कारण ईरान भी सावधानीपूर्वक आगे बढ़ रहा है। हमास के समर्थन में लेबनान के हिज्बुल्लाह तथा यमन के हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर जरूर हमला किया है, फिर भी ये दोनों उग्रवादी संगठन बड़े पैमाने पर हमला करने से बचते रहे हैं। पाकिस्तान जरूर इजरायल के खिलाफ समर्थन करने की घोषणा कर रही है। पाकिस्तान तथा दूसरे मुस्लिम देशों को मालूम है कि अगर वे युद्ध में सीधे कूदे तो अमरीका उनको सबक सिखाने से बाज नहीं आएगा। अमरीका सहित पश्चिमी देश खुलकर इजरायल के समर्थन में आ गए हैं। ब्रिटेन, जर्मनी सहित अनेक यूरोपीय देश इजरायल को हथियार एवं गोला-बारूद से सहायता कर रहे हैं। तीनों आतंकी संगठनों को ईरान एवं कुछ अन्य मुस्लिम देशों से सहयोग एवं समर्थन मिल रहा है।

रूस और चीन जैसे देश भी हमास के समर्थन में बयान दे रहे हैं, किंतु अभी तक वे पूरी तरह शामिल नहीं हुए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद इजरायल-हमास युद्ध ने दुनिया की आर्थिक स्थिति पर करारा चोट किया है। दोनों युद्ध के कारण दुनिया में आर्थिक मंदी का दौर शुरू हो गया है तथा महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। हमास ने दुनिया को युद्ध की ज्वाला में धकेलने का जो षड्यंत्र रचा है, वह निंदनीय है। इजरायल तथा हमास दोनों एक-दूसरे पर युद्ध के नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं। इस युद्ध में बड़ी संख्या में महिलाओं एवं बच्चों की जानें जा रही हैं। युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है। इजरायल की स्थापना के 75 वर्षों के इतिहास में इस देश ने शायद कभी ऐसा हमला नहीं देखा होगा। यही कारण है कि इजरायल हमास को पूरी तरह खत्म कर लड़ाई को अंतिम अंजाम तक पहुंचाना चाहता है।