गाजापट्टी में मानवीय विराम की घोषणा को कतर के लिए जीत माना जा सकता है। पिछले बुधवार की सुबह कतर के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर चार दिन के युद्धविराम की घोषणा की। इस दौरान सभी पक्ष यानी इजरायली सेना, उग्रवादी समूह हमास और लेबनान में हिज्बुल्लाह की सशस्त्र इकाई लड़ाई रोकने पर सहमत हुए थे। इससे गाजा में हमास की ओर से बंधक बनाए गए 50 लोगों को रिहा किया गया। इसके बदले इजरायल की ओर से करीब 150 फलीस्तीनी कैदियों को रिहा किया गया। साथ ही इस दौरान गाजापट्टी में मानवीय सहायता भी पहुंचाई गई। हमास की ओर से बंधक बनाए गए लोगों में मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे हैं। इजरायली जेलों से रिहा किए जाने वाले फलीस्तीनी कैदियों में भी मुख्य रूप से महिलाएं और 18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिग हैं। उल्लेखनीय है कि बीते 7 अक्तूबर को हमास ने गाजा से इजरायल पर हमला किया था। इस हमले में करीब 1,200 इजरायली और विदेशी नागरिक मारे गए। इस समूह ने करीब 240 लोगों को बंधक बना लिया था और उन्हें गाजापट्टी ले गए थे। हमले के बाद से इजरायल करीब 360 वर्ग किलोमीटर के इलाके पर बमबारी कर रहा है। साथ ही उसने इन क्षेत्रों में पानी, भोजन, ईंधन और चिकित्सा से जुड़ी सामग्री की आपूर्ति पर भी रोक लगा दी है।
हमास के नियंत्रण वाले इलाके के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक पिछले छह हफ्तों में गाजा में 13,000 लोग मारे गए हैं। अमरीका, यूरोपीय संघ और कुछ अन्य देश हमास को आतंकवादी संगठन मानते हैं। दरअसल, बंधकों की रिहाई को लेकर कई हफ्तों से वार्ता चल रही थी। एक मुकाम पर इजरायली सरकार ने कथित तौर पर गाजा में जमीनी हमला शुरू करने को लेकर इसी तरह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। हालांकि, बाद में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, इजरायल के प्रमुख सहयोगी अमरीका और बंधकों के परिवार की ओर से दबाव बढ़ गया। इन लोगों ने मांग की कि सरकार बंधकों को रिहा कराने पर विशेष ध्यान दे। इजरायल और गाजा के साथ सीमा साझा करने वाले मिस्र ने भी बातचीत में मदद की। मिस्र ने 1979 में ही इजरायल के साथ शांति समझौता किया था। हालांकि, कतर ही इस पूरी वार्ता का नेतृत्व करता हुआ नजर आया। कतर की घोषणा के बाद अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मैसेज पोस्ट कर वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मिस्र और कतर को धन्यवाद दिया। इससे पहले इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार साखी हनेग्बी ने भी कतर की भूमिका की सराहना करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था।
इस समय कतर के राजनयिक प्रयास महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हर कोई कतर की इस भूमिका से खुश नहीं है। कुछ टिप्पणीकारों ने कहा कि वार्ताकारों को ज्यादा से ज्यादा बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए था। कई लोगों ने तर्क दिया कि कतर 2012 से हमास के राजनीतिक नेतृत्व का घर रहा है, इसलिए वह किसी न किसी तरह से हमास के हमलों में साझेदार रहा है। कतर ने नियमित तौर पर कहा है कि वह फलीस्तीन के लोगों की मांगों का समर्थन करता है। विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि कतर अपनी विदेश नीति के मामले में एक अच्छी राह पर चल रहा है। वह मध्य-पूर्व के स्विट्जरलैंड की भूमिका निभा रहा है और आने वाले सभी देशों के लिए दरवाजे खुले रख रहा है। कतर की भूमिका विशेष रूप से संवेदनशील है, क्योंकि वह पिछले दो दशकों से अधिक समय से यह मान रहा है कि वह मध्यस्थ है। इससे पहले, कतर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अफगानिस्तान के तालिबान के बीच वार्ताकार रहा है, वहीं अमरीका और ईरान के साथ-साथ रूस और यूक्रेन के बीच भी उसने वार्ताकार की भूमिका निभाई है। अमरीका का मध्य-पूर्व में मौजूद सबसे बड़ा सैन्य अड्डा अल-उदेद एयर बेस भी कतर में ही स्थित है। वर्ष 2021 में अफगानिस्तान से अमरीकी सैनिकों की वापसी के दौरान इस एयर बेस की अहम भूमिका थी। इस वजह से कतर को 'प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी' भी कहा जाता है।