लाल सागर में आने वाले व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाकर हुती विद्रोहियों ने दुनिया को अपनी शर्तों पर मजबूर करने का भरसक प्रयास किया है। लाल सागर से दुनिया का 12 प्रतिशत व्यापार होता है जो दस अरब डॉलर से ज्यादा का है। हुती विद्रोहियों ने 25 दिसंबर को भारत के नजदीक अरब सागर में एमवी केम प्लूटो जहाज पर ड्रोन से हमला किया। इस जहाज में मौजूद सभी क्रू मेम्बर सुरक्षित हैं। इससे पहले भारत के व्यापारिक जहाज एमवी साईं बाबा पर भी हमला हुआ था। इस हमले के बाद भारतीय नेवी अलर्ट मोड में है। भारत ने अपने व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा के लिए आईएनएस कोलकाता, आईएनएस कोच्चि सहित चार युद्धपोतों को अरब सागर, लाल सागर एवं अदन की खाड़ी के क्षेत्र में तैनात किया है। इजरायल-हमास युद्ध के बाद हुती विद्रोहियों ने व्यापारिक जहाजों पर हमला शुरू किया है। अभी तक विभिन्न देशों के लगभग 15 व्यापारिक जहाजों पर हमले हो चुके हैं।
भारत के साथ पंगा लेकर हुती विद्रोहियों ने गलत काम किया है। हालांकि हुती विद्रोहियों ने इस घटना में शामिल होने से इनकार किया है। अमरीका ने भारतीय जहाजों पर हमले के लिए ईरान को दोषी ठहराया है। भारतीय एजेंसियां इस मामले की जांच में जुटी हुई कि इस हमले के पीछे वास्तव में किसका हाथ है। अमरीका सहित 20 देश लाल सागर, अदन की खाड़ी एवं फारस की खाड़ी में व्यापारिक जहाजों को सुरक्षा देने के लिए संयुक्त कमान बनाने की कोशिश में हैं। अमरीका चाहता है कि भारत भी इसमें शामिल हो, लेकिन भारत अपनी अलग रणनीति बनाकर काम कर रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि अमरीका भारत को अपने इस फ्रंट में शामिल करने के लिए हमला करवाया है।
भारत ने ऐसे युद्धपोतों को तैनात किया है जो पी-8आई विमान, डोर्नियर्स, सी-गार्जियन, हेलीकाप्टर एवं तटरक्षक जहाजों से लैस हैं। किसी भी समुद्री डकैती एवं ड्रोन हमले को नाकाम करने में ये युद्धपोत सक्षम हैं। भारतीय जहाज पर जिस क्षेत्र में हमला हुआ है, वह ईरान और पाकिस्तान के काफी नजदीक है। अगर इस हमले में हुती विद्रोहियों के शामिल होने का सबूत मिलता है तो भारत उनके खिलाफ हमला करने से पीछे नहीं हटेगा। अमरीका सहित पश्चिमी देश पहले से भारत को इस जंग में खींचने के लिए लगातार साजिश रच रहे हैं। हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर में भारत की नौसेना पहले से ही मजबूत स्थिति में है। आज मंगलवार को भारत ने अपने आधुनिक युद्धपोत आईएनएस इंफाल को लांच किया है, जो ब्रह्मोस एवं बराक-8 जैसे घातक मिसाइलों से लैस है। दुनिया के देशों को हर हालत में लाल सागर के जलमार्ग को सुरक्षित करना पड़ेगा, क्योंकि दूसरे मार्ग से माल ढुलाई करने पर 20 प्रतिशत तक कीमतें बढ़ जाएंगी। भारत को इस मामले में सतर्क रहने की जरुरत है।