भारत में न्यूजीलैंड के साथ हुए क्रिकेट शृंखला में मेहमान न्यूजीलैंड ने भारत को 3-0 से क्लीन स्वीप करते हुए सीरीज पर कब्जा कर लिया। कीवियों ने बंगलूरू में पहला टेस्ट आठ विकेट से, पुणे में दूसरा टेस्ट 113 रन से तथा मुंबई में तीसरा टेस्ट 25 रन से जीत कर सीरीज अपने नाम किया। वर्ष 2000 के बाद पहली बार भारत को घरेलू शृंखला में क्लीन स्वीप से हार कर शॄमदगी झेलनी पड़ी है। वर्ष 2000 में दक्षिण अफ्रीका ने भारत को 2-0 से हराकर शृंखला अपने नाम किया था। न्यूजीलैंड ने मुंबई में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में भारत के सामने जीत के लिए 147 रन का लक्ष्य रखा था, लेकिन धाकड़ बल्लेबाजों की मौजूदगी के बावजूद पूरी टीम 29.1 ओवर में 121 रन पर ढेर हो गई। पूरी शृंखला में न्यूजीलैंड के सामने टीम इंडिया की एक नहीं चली। केवल ऋषभ पंत ने अच्छी बल्लेबाजी की तथा पूरी शृंखला में 261 रन बनाये। कप्तान रोहित शर्मा तथा विराट कोहली जैसे बल्लेबाज पूरी शृंखला में 100 रन का आंकड़ा भी नहीं छू सके। रोहित शर्मा ने 15.17 की औसत से कुल 91 रन बनाये, जबकि विराट कोहली ने 15.50 की औसत से कुल 93 रन बनाये। भारत के प्रमुख स्पिन गेंदबाज आर अश्विन पूरी शृंखला में फ्लॉप रहे। अश्विन ने पूरी शृंखला में 41.22 के औसत से कुल 9 विकेट लिये, जबकि न्यूजीलैंड के स्पिन गेंदबाजों एजाज पटेल, मिचेल सैंटनर तथा फिलिप्स ने क्रमशः 15, 13 तथा 8 विकेट लिये। स्पिन गेंदबाजी खेलने में माहिर भारतीय बल्लेबाज पूरी शृंखला में न्यूजीलैंड के फिरकी गेंदबाजों के सामने संघर्ष करते नजर आये। करारी हार के बाद कप्तान और टीम प्रबंधन पर सवाल उठना लाजिमी है। इस हार के बाद विश्व कप टेस्ट क्रिकेट फाइनल में पहुंचना भारत के लिए कठिन हो गया है। हालांकि अभी भी भारत टेस्ट रैंकिंग में दूसरे स्थान पर बना हुआ है। फाइनल में पहुंचने के लिए भारत को 22 नवंबर से आस्ट्रेलिया में होने वाले टेस्ट क्रिकेट शृंखला में आस्ट्रेलिया पर 4-0 से जीत दर्ज करनी होगी। अगर पूरी टेस्ट शृंखला पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारत की शुरुआत से ही रणनीति में कमी थी। प्रथम टेस्ट मैच में भारतीय कप्तान ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया, जबकि वातावरण तेज गेंदबाजों के अनुकूल था। उस मैच में तीन स्पिनरों को रखना भी सही नहीं लगा। दूसरे और तीसरे टेस्ट मैचों में पिच स्पिनरों के अनुकूल था, जिसका फायदा हमारे स्पिन गेंदबाज नहीं उठा सके। भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा। खासकर बाएं हाथ के स्पिनर के खिलाफ हमारे दिग्गज बल्लेबाज भी नहीं चले। भारतीय टीम की रणनीति में भी खामी नजर आई। इस करारी हार के बाद पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों का नाराज होना स्वाभाविक है। सचिन तेंदुलकर ने तो भारतीय टीम को आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी, जबकि महान स्पिन गेंदबाज अनिल कुंबले ने टीम में कुछ गंभीर समस्या होने की शंका जाहिर की है। वीरेन्द्र सहवाग ने टेस्ट मैचों में बड़े बदलाव करने पर असहमति जाहिर की है। आस्ट्रेलिया में होने वाले अगले टेस्ट सीरीज से पहले भारतीय टीम को अपनी गलतियों को सुधारना होगा। अपने को आस्ट्रेलिया के तेज पिचों के अनुरूप रणनीति में बदलाव कर खेलना होगा। बीसीसीआई को भी इस मामले में पहल करनी होगी।
भारत का शर्मनाक प्रदर्शन
