पिछले डेढ़ वर्षों से मणिपुर में चल रहा जातीय संघर्ष भयावह रूप लेता जा रहा है। अगर समय रहते इसको नियंत्रित नहीं किया गया तो स्थिति और गंभीर हो जाएगी। कुछ दिन पहले मणिपुर के जिरीबाम में छह महिलाओं एवं बच्चों के अपहरण के बाद उनके शव मिलने से इंफाल घाटी में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। मैतेई समुदाय के संगठनों द्वारा किए जा रहे हिंसक प्रदर्शन ने सरकारी महकमे को हिलाकर रह दिया है। केंद्र सरकार ने कुकी उग्रवादियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए अर्द्धसैनिक बलों की और 50 कंपनियों को मणिपुर भेज दिया है। पहले भी 20 कंपनियों को भेजा जा चुका है। प्रदर्शनकारियों द्वारा एक मंत्री तथा कई विधायकों के घरों में आग लगा दी गई है। मणिपुर के मुख्यमंत्री के पैतृक आवास पर भी आक्रामण करने का प्रयास किया गया। बाध्य होकर केंद्र सरकार को मणिपुर के पांच जिलों के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में फिर से अफस्पा लागू करने का निर्णय लेना पड़ा है। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी शुरू हो गया है। सरकार में शामिल एनपीपी ने बिरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। एनपीपी का कहना है कि अगर भाजपा वर्तमान मुख्यमंत्री को हटाकर दूसरे नेता को मौका देती है तो हमारा समर्थन जारी रहेगा। पिछले अगस्त 2023 में कुकी पीपुल्स अलांइस ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में भाजपा के विधायकों की कुल संख्या 32 हैं। ऐसी स्थिति में सरकार की सेहत पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। सरकार के साथ नगा पीपुल्स फ्रंट एवं जनता दल यूनाइटेड हैं, जिनके सदस्यों की संख्या क्रमशः पांच एवं छह है। तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी सरकार के साथ है। लेकिन अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार को मणिपुर के बारे में कोई स्पष्ट और कड़ा निर्णय लेना होगा। भाजपा के अंदर भी वर्तमान स्थिति को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। जिरीबाम के छह भाजपा नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के 27 विधायकों की एक बैठक हुई है, जिसमें कुकी उग्रवादियों के खिलाफ बढ़ा ऑपरेशन शुरू करने की मांग की गई है। साथ में इस संगठन को गैर कानूनी घोषित करने का भी अनुरोध किया गया है। मणिपुर पिछले कई वर्षों से साजिश का केंद्र बना हुआ है। लाओस, थाइलैंड एवं म्यांमा की तरफ से मणिपुर के रास्ते बड़े पैमाने पर ड्रग्स की तस्करी होती है। इसके साथ ही मणिपुर तथा आसपास के हिस्सों को मिलाकर ईसाई बहुल राज्य बनाने का षड्यंत्र चल रहा है। इसको लेकर धार्मिक तनाव भी बना हुआ है। मणिपुर इस वक्त कुकी एवं नगा तथा मैतेई समुदाय के टकराव के बीच जल रहा है। इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय का वर्चस्व है, जबकि पहाड़ी क्षेत्र में कुकी एवं नगा लोगों की बहुलता है। मैतेई समुदाय की कुल 53 प्रतिशत आबादी है, जबकि कुकी एवं नगा समुदाय की कुल 40 प्रतिशत है। दोनों समुदाय एक-दूसरे पर उनके हितों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते रहे हैं। पिछले 18 महीनों के दौरान 200 से ज्यादा लोगों की जाने चली गई। केंद्र सरकार को मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए कठोर कदम उठाना चाहिए। कुकी उग्रवादियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाने की जरूरत है। लेकिन इस बात का ख्याल रखना होगा कि इसमें निर्दोष लोगों को परेशानी नहीं हो। मैतेई और कुकी लोगों के बीच शांति एवं सौहार्द स्थापित करने के लिए पहल होनी चाहिए। सीमावर्ती राज्य होने के कारण मणिपुर के मामले को सावधानी से निपटने की जरूरत है। लेकिन किसी भी हालत में हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।