शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के ऊपर अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है। कट्टरपंथियों द्वारा लगातार हिंदुओं के धर्मस्थलों एवं अन्य संस्थानों पर हमले हो रहे हैं। मोहम्मद युनूस की सरकार चरमपंथियों के दबाव में है। प्रशासन उपद्रवियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। बाध्य होकर बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू समुदायों को खुद सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। बांग्लादेश के चटगांव एवं रंगपुर में हिंदुओं ने अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ रैली निकाली। हालांकि बांग्लादेश प्रशासन तथा चरमपंथी समूह ने इसे रोकने का भरसक प्रयास किया। बांग्लादेश के हिंदुओं को संगठित करने में सम्मिलित सनातनी जोत प्रतिनिधि तथा इस्कॉन के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बांग्लादेश सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह एवं सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाकर ढाका हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया है। वहां की अदालत ने चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज कर जेल भेज दिया है। इस्कॉन के संत के साथ वैसा व्यवहार करने के खिलाफ हिंदू सगंठनों ने ढाका में प्रदर्शन किया है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है तथा हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बांग्लादेश में अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा होनी चाहिए। शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। अमरीका की प्रमुख हिंदुवादी संगठन ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं से सहित अन्य अल्पसंख्यक पर हो रहे अत्याचार को तत्काल बंद करने की मांग की है। अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले के लेकर चिंता व्यक्त की है। ऐसी खबर है कि बांग्लादेश के एक वकील ने हाईकोर्ट में इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक याचिका दायर की है। कोर्ट ने इस मामले पर अपना विचार रखने के लिए बांग्लादेश की सरकार को नोटिस जारी किया है। बांग्लादेश की सरकार इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने के लिए साजिश रचने में लगी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो संगठन अपने आत्मरक्षा के लिए आंदोलन कर रहा है उस पर प्रतिबंध लगाने की बात चल रही है, जबकि दूसरी तरफ चरमपंथियों को हुड़दंग मचाने के लिए पूरी छूट है। युनूस सरकार कट्टरपंथियों के सामने आत्मसमर्पण कर चुकी है। वहां के हिंदु संगठनों ने हिंदुओं पर हमले में शामिल लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए न्यायाधिकरण के गठन, पीड़ितों मुआवजा देने, अल्पसंख्यक संरक्षण कानून बनाने तथा अलग से अल्यसंख्यक मंत्रालय बनाने की मांग की है। हिंदु संगठनों की मांग है कि हिंदुओं, बौद्धों एवं ईसाइयों के लिए वेलफेयर ट्रस्ट का गठन किया जाए तथा संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम बनाया जाए। इसके साथ ही दुर्गा पूजा के समय पांच दिन का सरकारी अवकाश घोषित किया जाए। यह सबको मालूम है कि शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में चरमपंथियों के साथ-साथ पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई की भूमिका काफी सक्रिय हो गई है। आईएसआई बांग्लादेश की धरती से भारत में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ाने में लगा हुआ है। बांग्लादेश की नई सरकार अमरीका तथा आईएसआई की कठपुतली बन गई है। भारत सरकार को बांग्लादेश की गंभीर स्थिति के प्रति सावधान रहना पड़ेगा। साथ में वहां रहने वाले एक करोड़ 30 लाख हिंदुओं की सुरक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालना पड़ेगा। अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के बाद अमरीकी नीति में बदलाव संभव है। वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन के इशारे पर ही बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है। भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच से भी बांग्लादेश पर हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए कूटनीतिक प्रयास करना होगा। कूटनीतिक दबाव के साथ-साथ बांग्लादेश पर आर्थिक दबाव भी डाला जाना चाहिए। नरेंद्र मोदी सरकार इस दिशा में काम कर रही है। किंतु बांग्लादेश पर और अधिक दबाव बढ़ाने की जरूरत है ताकि चिन्मय कृष्ण दास जैसे संत को रिहा करवाया जा सके।