सीरिया में एक बार फिर हिंसा छिड़ गई है। एक नाटकीय घटनाक्रम में विपक्षी गुट ने बड़ी बढ़त बनाते हुए अलेप्पो शहर के बड़े हिस्से पर नियंत्रण बना लिया है। अब असद सरकार का साथ देते हुए रूस हवाई हमले कर रहा है। विपक्षी गुटों ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की सेना के खिलाफ बड़ी और औचक बढ़त बना ली है। सीरिया की सरकार अलेप्पो का नियंत्रण पूरी तरह खो चुकी है। शहर के उत्तर-पश्चिमी हिस्से के चार इलाकों को छोड़कर समूचे अलेप्पो पर विद्रोही गठबंधन का नियंत्रण है। इसका नेतृत्व हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) नाम का एक इस्लामिक समूह कर रहा है। इसका चार इलाकों को छोड़ पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण है। खबरों के मुताबिक विद्रोही गुट अब हमा शहर को जीतने की कोशिश कर रहा है। अमरीकी विदेश विभाग ने जून 2018 में एचटीएस को विदेशी आतंकवादी संगठनों (एफटीओ) की सूची में शामिल किया था। सीरिया का अल नुसरा फ्रंट (जबात अल-नुसरा) इसका पूर्ववर्ती संगठन था। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मुताबिक जुलाई 2016 में नुसरा के नेता अबु मुहम्मद अल-जोलानी ने जबात अल-नुसरा को भंग कर एचटीएस नाम का एक नया समूह बनाया। एचटीएस दावा करता है कि अब उसका अल-कायदा से कोई संबंध नहीं है। एचटीएस सीरिया में असद सरकार से लड़ रहा सबसे मजबूत विद्रोही गुट है। सीरिया में असद सरकार को हटाकर वहां इस्लामिक शासन स्थापित करना इसका घोषित लक्ष्य है। इस संगठन का कहना है कि वह अलेप्पो में चर्चों समेत सभी सांस्कृृतिक और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा करेगा। इसके नियंत्रण वाले इलाकों में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन की आशंका है। दूसरी ओर असद की सेना का साथ देने के लिए ईरान समर्थित इराकी मिलिशिया को सीरिया में तैनात किया गया है। अब तक ईरान समर्थक मिलिशिया के 200 से ज्यादा लोग इराक से लगी सीमा पार कर सीरिया आए हैं। रूस ने भी राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए अपना समर्थन दोहराया है। रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पत्रकारों से कहा कि बेशक हम बशर अल-असद का समर्थन करना जारी रखेंगे। हम स्थिति का विश्लेषण कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इदलीब शहर समेत कई इलाकों पर रूस और सीरिया संयुक्त रूप से हवाई हमले कर रहे हैं। नागरिक रक्षा समूह वाइट हेल्मेट्स ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि ताजा संघर्ष 27 नवंबर से गहराना शुरू हुआ। तब से 1 दिसंबर तक उत्तर-पश्चिमी सीरिया में असद सरकार, रूस और अन्य सहयोगियों की ओर से किए गए हमलों में 20 बच्चों और आठ महिलाओं समेत 56 लोग मारे जा चुके हैं। ये हमले इदलीब शहर और इदलीब व अलेप्पो के बाहरी इलाकों में हुए। इसके बाद भी बड़े स्तर पर हमले जारी हैं। बीते 2 दिसंबर को रूस ने इदलीब में कई अस्पतालों पर हवाई हमले किए हैं। संगठन ने कई तस्वीरें शेयर करते हुए एक सोशल पोस्ट में लिखा कि अस्पतालों और स्वास्थ्य ढांचों को निशाना बनाना अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अंतर्गत युद्ध अपराध है। सीरिया में 2011 से ही गृह युद्ध जारी है। यहां अशद परिवार कई दशकों से सत्ता में है। बशर अल-असद के पिता हाफेज अल-असद 1971 से 2000 में अपने निधन तक देश के राष्ट्रपति रहे। उनके बाद बशर को सत्ता मिली। अरब स्पि्रंग के क्रम में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों ने सीरिया में भी जोर पकड़ा। इन प्रदर्शनों का स्वभाव शांतिपूर्ण था, लेकिन सरकार का रुख बेहद सख्त है। ताकत के जोर पर प्रदर्शनों को खत्म करने की कोशिश सफल नहीं हुई। कई विरोधी गुट बन गए और सरकार के साथ सशस्त्र संघर्ष शुरू हो गया। इस सिविल वॉर में रूस और ईरान, असद की सरकार के सबसे बड़े समर्थक बनकर उभरे। वहीं, तुर्की ने विरोधी गुटों को समर्थन दिया। लंबे संघर्ष के बाद 2020 में रूस और तुर्की के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बनी। इसके बाद से कोई बड़ी लड़ाई तो नहीं भड़की, लेकिन असद सरकार समूचे सीरिया पर नियंत्रण नहीं बना सकी। केवल 70 फीसदी भूभाग ही सरकार के नियंत्रण में था। बीते कुछ सालों से असद के सभी सहयोगी अपने-अपने संघर्षों में व्यस्त हैं। रूस और यूक्रेन के साथ युद्ध चल रहा है। ईरान ने इजरायल पर हमला किया और इजरायल ने उस पर जवाबी हमले किए। मध्यपूर्व में जारी इन संघर्षों के बीच अभी सीरिया पर लोगों का ध्यान भी नहीं था कि 27 नवंबर को औचक ही विरोधी गुटों की ओर से बड़े स्तर पर कार्रवाई की खबर आनी शुरू हो गई।
फिर बना रणक्षेत्र
