इन दिनों देशभर में शहरों के नाम बदलने और विभिन्न चीजों पर प्रतिबंध लगाने की राजनीति तेज हो गई है। इस मामले में असम पीछे नहीं है।  इसी कड़ी में असम सरकार ने तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक रूप से गोमांस खाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।  उपरोक्त आशय का फैसला नई दिल्ली में आयोजित कैबिनेट बैठक में लिया गया। इस संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने एक्स पर लिखा कि हमने फैसला किया है कि असम में किसी भी रेस्तरां या होटल में गोमांस नहीं परोसा जाएगा, न ही किसी सार्वजनिक समारोह या सार्वजनिक स्थान पर इसकी इजाजत दी जाएगी। इसलिए आज से हमने होटलों, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस के उपभोग को पूरी तरह से बैन करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने आगे लिखा कि असम में हमने गोहत्या को रोकने के लिए तीन साल पहले कानून बनाया था, उस कानून के लागू होने से काफी सफलता मिली है। अब हमने सार्वजनिक जगहों और होटलों में गोमांस के खाने या परोसने पर बैन लगाने का फैसला लिया है। उल्लेखनीय है कि असम में गोमांस खाने और परोसने पर किसी तरह की रोक नहीं थी। साल 2021 में असम मवेशी संरक्षण कानून लाया गया, जो कि ऐसे इलाकों में बीफ की बिक्री पर रोक लगाता है जहां हिंदू मंदिर हैं। यह कानून मंदिरों के पांच किलोमीटर के दायरे पर लागू था। अब मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया कि यह फैसला पूरे राज्य में लागू होगा। सीएम ने कहा कि नया प्रावधान राज्य में मवेशी हत्या रोकने के सरकार के उद्देश्य के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा और रकिबुल हुसैन जो चाहते थे, वह अब पूरा होगा। इसलिए हमें उम्मीद है कि कांग्रेस इस फैसले में हमारा समर्थन करेगी। हिमंत विश्वशर्मा ने कहा कि उनके मंत्रिमंडल ने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा और धुबरी के सांसद रकिबुल हुसैन के बयानों का विश्लेषण करने के बाद बीफ बैन पर फैसला लिया। दोनों नेताओं ने असम के मुसलमान बहुल सामागुड़ी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए राजनीतिक दलों की ओर से गोमांस बांटने पर नाराजगी जताई थी। 13 नवंबर को सामागुड़ी विधानसभा के उपचुनाव हुए थे और आरोप लगाए गए थे कि वोटरों को लुभाने के लिए बीफ बांटा गया। आरोप कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर लगे थे। कांग्रेस सांसद हुसैन ने यह भी दावा किया था कि  उनके पास बीफ बांटे जाने के सबूत हैं। इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के दिप्लू रंजन शर्मा ने 24,501 वोटों से हुसैन के बेटे तंजिल हुसैन को हरा दिया था। पिछले 25 साल से कांग्रेस यह सीट जीतती आ रही थी। इस जीत के बाद सीएम ने कांग्रेस से सवाल किया कि क्या वह अब तक बीफ बांटकर सामागुड़ी जीतती आ रही थी। राज्य में बीफ खाने और परोसने पर लगाए गए प्रतिबंध पर रकिबुल हुसैन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि असम के मुख्यमंत्री की लोकप्रियता घट रही है और इसलिए वह लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के कदम उठा रहे हैं। असम सरकार के मंत्री पीयूष हजारिका ने एक्स पर एक पोस्ट कर कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला। उन्होंने शर्मा के पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि मैं असम कांग्रेस इकाई को चुनौती देता हूं कि वह गोमांस पर प्रतिबंध का स्वागत करे या पाकिस्तान में जाकर बस जाए। असम सरकार ने राज्य में मवेशियों की रक्षा के लिए 2021 में कानून बनाया था। असम मवेशी संरक्षण विधेयक 2021 नामक इस कानून का मकसद वैसे तो पड़ोसी देश बांग्लादेश में गायों की तस्करी को रोकना है, इसे विधानसभा में पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि इसका मकसद यह सुनिश्चित करना भी है कि उन क्षेत्रों में बीफ खाने या बेचने की अनुमति नहीं दी जाए जहां मुख्य रूप से हिंदू, जैन, सिख और बीफ नहीं खाने वाले समुदाय रहते हैं। किसी मंदिर, धार्मिक स्थान या फिर अधिकारियों द्वारा तय किसी दूसरी संस्था के पांच किलोमीटर के दायरे में भी पशुओं की कटाई की अनुमति नहीं होगी। हालांकि, हिमंत  विश्वशर्मा ने उस समय यह भी कहा था कि कुछ धार्मिक अवसरों पर इसमें छूट दी जा सकती है, परंतु अब स्थिति बिल्कुल बदल गई है।