पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले अगस्त महीने में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ हुए दुष्कर्म एवं हत्या के मामले में सियालदह की अदालत ने अपराधी संजय राय को उम्र कैद की सजा सुनाई है। अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश अनिर्बाण दास ने उम्र कैद की सजा के साथ-साथ 50 हजार का जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया है। जुर्माने की भरपाई न होने पर पांच माह और जेल में रहना पड़ेगा। न्यायाधीश ने राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया है। मालूम हो कि 9 अगस्त 2024 को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार कक्ष में संजय राय द्वारा प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने का आरोप लगा था। उसके बाद इस घटना के विरोध में पश्चिम बंगाल सहित देश के दूसरे भागों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे। न्याय की मांग करते हुए डॉक्टरों ने विभिन्न अस्पतालों में अपनी सेवाएं देना बंद कर दिया था जिससे मरीजों की स्थिति बदतर हो गई थी। पूरे देश में आंदोलन तेजी से फैल गया, जिसके बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद डॉक्टरों ने आंदोलन वापस लिया था। इस मामले में ममता बनर्जी सरकार भी कठघरे में आ गई थी। विपक्षी पार्टियों ने इस घटना के विरोध में ममता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कोलकाता के पुलिस कमिश्नर सहित कई संबंधित अधिकारियों को हटाने के बाद आंदोलन शांत हुआ था। पीड़ित परिवार की मांग पर कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा। भाजपा ने भी इस मामले में पश्चिम बंगाल की पुलिस के इरादे पर शक करते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। पश्चिम बंगाल पुलिस पर मामले को दबाने एवं सबूत नष्ट करने का आरोप लगा था। अब कोर्ट के फैसले पर भी बहस शुरू हो गई है। पीड़ित पक्ष तथा राजनीतिक पार्टियों द्वारा सियालदह कोर्ट द्वारा दिये गए फैसले को सही नहीं माना जा रहा है। लोगों की मांग है कि कोर्ट को अपराध की गंभीरता को देखते हुए मृत्युदंड की सजा देनी चाहिए थी। न्यायाधीश दास ने कहा कि यह अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता है जिससे दोषी को मृत्युदंड दिया जा सके।  दूसरी तरफ पीड़ित परिवार का कहना है कि बलात्कार के बाद हत्या करने के अपराध से बड़ा अपराध और क्या हो सकता है? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उम्र कैद की सजा पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए मृत्युदंड की सजा देने की मांग की है। ऐसी मांग भाजपा के द्वारा भी की गई है। पीड़ित परिवार ने कहा है कि कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। पूरा न्याय मिलने तक लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया गया है। पीड़ित परिवार का यह भी कहना है कि वे आजीवन कारावास की सजा देने की अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं है। परिवार ने दावा किया है कि जांच अधूरे मन से की गई है और अपराध में शामिल कई अपराधियों को बचा लिया गया है। इस हत्याकांड के पीछे बड़ा षड्यंत्र था। पीड़ित परिवार ने मुआवजा लेने से तब तक इनकार किया है जब तक इस घटना में शामिल सभी अपराधियों को सजा नहीं मिल जाती है। पश्चिम बंगाल के चिकित्सकों ने भी इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख करने और मामले में शामिल अन्य व्यक्तियों को दंडित किये जाने तक विरोध प्रदर्शन जारी रखने का निर्णय लिया है। देश में इस तरह की घटनाएं होती रही हैं, किंतु सरकार तथा प्रशासन ने इससे कोई सबक नहीं लिया। घटना होने के बाद सरकार हरकत में आती है तथा मामले को जांच एजेंसियों को सौंप कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है। कोर्ट ने कहा है कि दोषी व्यक्ति का अंतिम बयान, बचाव पक्ष की दलील, पीड़ित परिवार के वकील की दलील तथा सीबीआई की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद निर्णय दिया गया है। अब देखना है कि कलकत्ता हाईकोर्ट आगे क्या निर्णय लेता है।