रूस-यूक्रेन युद्ध का भविष्य फिलहाल अधर में लटक गया है। उम्मीद की जा रही थी कि डोनाल्ड ट्रंप के अमरीका के राष्ट्रपति बनने के बाद युद्ध समाप्त हो जाएगा। अपने चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार कहा था कि उनके शपथ ग्रहण के बाद 24 घंटे के भीतर रूस-यूक्रेन युद्ध रुक जाएगा। उनके शपथ लेने के चार दिन बीत जाने के बावजूद युद्ध रुकने के बजाय और तेज हो गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अपने कमांडरों को युद्ध और तेज करने का निर्देश दिया है। अमरीकी राष्ट्रपति के लिए युद्ध रुकवाना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है, क्योंकि अभी तक उनकी साख दुनिया में एक मजबूत नेता के रूप में है। ट्रंप पुतिन को चेतावनी एवं धमकी देकर कूटनीतिक दबाव बढ़ाना चाहते हैं ताकि वे वार्ता की मेज पर आ जाएं। पुतिन अपनी शर्तों पर युद्ध बंद करना चाहते हैं। पुतिन अमरीका से यह आश्वासन चाहते हैं कि उन्हें यूक्रेन से जीता हुआ क्षेत्र वापस करना नहीं पड़े। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की इसके लिए कतई तैयार नहीं होंगे। ऐसा होने पर रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त होने की जगह और भड़क जाएगा। फिलहाल ऐसा हो रहा है। पुतिन ने यूक्रेनी क्षेत्र डोनबास्क पर पूरी तरह से कब्जा करने के लिए पिछले 48 घंटों के दौरान हमले तेज कर दिये हैं। कुर्स्क क्षेत्र में भी रूसी सेना लगातार हमले कर रही है। यूक्रेन के खारकीव के औद्योगिक क्षेत्र में भी रूसी सेना ने भारी तबाही की है। अगर युद्ध आगे और बढ़ता है तो यूक्रेन को अमरीका सहित नाटो देशों से और हथियार की जरूरत पड़ेगी। बाइडेन प्रशासन ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में यूक्रेन को जो आॢथक मदद दी थी उसका कुछ हिस्सा अभी भी लंबित है। यूक्रेन चाहता है कि अमरीका उसे और हथियारों की आपूर्ति करे जिससे रूस पर हमले तेज किये जा सके। ट्रंप और पुतिन के संबंध पहले से अच्छे हैं, किंतु रूस-यूक्रेन युद्ध मामले में काम फिलहाल बनता नहीं दिख रहा है। ट्रंप की धमकी को पुतिन ने गंभीरता से लेते हुए अमरीका को जवाब दिया है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन तथा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वीडियो कांफ्रेंङ्क्षसग के जरिये 35 मिनट बातचीत हुई है। दोनों देशों ने अमरीका की तरफ से आ रही चुनौती का मुकाबला मिलकर करने का लिया है। दोनों देशों के बीच सामरिक सहयोग बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया है जो अमरीका के लिए शुभ संकेत नहीं है। अब पुतिन पूरी शक्ति के साथ युद्ध के मैदान में उतर चुके हैं। आगे हमला और घातक होगा जिसकी आंच नाटो देशों तक पहुंचेगी। रूस ने ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों के कुछ मुख्य शहरों को अपने खतरनाक परमाणु मिसाइलों की जद में ला दिया है। अगर युद्ध समाप्त नहीं हुआ तो भविष्य में इसका दायरा बढ़कर नाटो देशों तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो विश्व तीसरे विश्वयुद्ध की ओर बढ़ सकता है। कोई भी देश परमाणु हमला शुरू करता है तो दूसरा देश भी पीछे नहीं हटेगा। वर्तमान समय में रूस के पास दुनिया का सबसे ज्यादा परमाणु हथियार उपलब्ध है। उसके बाद अमरीका तथा दूसरे देशों का नंबर आता है। ऐसे खतरनाक हथियार दुनिया में तबाही लाने के लिए काफी है। रूस-यूक्रेन को वार्ता की मेज पर लाने के लिए दुनिया के देशों को प्रयास करना चाहिए। युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। नाटो देशों को भी इस मामले में रचनात्मक भूमिका निभाने की जरूरत है। वर्चस्व की लड़ाई में दुनिया को युद्ध की आग में झोंकना किसी भी रूप से उचित नहीं है। इजरायल-हमास के बीच युद्ध विराम होने के बाद ऐसा लगा था कि ट्रंप के हस्तक्षेप से यहां भी युद्ध रुक जाएगा। लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। अमरीका को अभी दो जगहों पर चल रहे युद्ध के अलावा ताइवान तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी चीन से मिल रही कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। चीन किसी भी वक्त ताइवान पर हमला कर उस पर कब्जा करने का प्रयास कर सकता है। अमरीका के लिए यह रणनीतिक एवं सामरिक दोनों ही दृष्टिकोण से अच्छा नहीं होगा। इससे ङ्क्षहद-प्रशांत क्षेत्र में अमरीका की साख को बट्टा लगेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध बंद कराने के लिए भारत को भी कूटनीतिक प्रयास करना होगा। यह तभी संभव है जब सभी पक्ष सकारात्मक पहल करे।
रूस-यूक्रेन युद्ध का भविष्य
