भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय संबंध बहुत पुराना है। दोनों देशों की सभ्यता एवं संस्कृृति काफी पुरानी है। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश होने के बावजूद आज भी वहां रामायण एवं महाभारत की महत्ता कायम है। प्रथम गणतंत्र दिवस समारोह में भी इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद दोनों देशों के संबंध काफी प्रगाढ़ रहे हैं। भारत के एक्ट-ईस्ट पॉलिसी में इंडोनेशिया का एक महत्वपूर्ण स्थान है। कुछ वर्ष पहले भारत ने आसियान के सभी दस देशों के राष्ट्रध्यक्षों को मुख्य अतिथि के तौर पर गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था। 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में भी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने गणतंत्र दिवस समारोह का निरीक्षण किया। विशेष बात यह है कि इंडोनेशिया की एक टुकड़ी ने भी गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित परेड में हिस्सा लिया। हैरतअंगेज परेड को देखकर वे काफी प्रभावित हुए। इससे पहले इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक हुई जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को नई गति देने का निर्णय लिया गया। बैठक में रक्षा विनिर्माण तथा आपूर्ति शृंखला के मामलों पर आपसी सहमति जताई गई। अपने तीन दिवसीय यात्रा पर आए इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम करने का निर्णय लिया। अपराध की रोकथाम, खोज एवं बचाव तथा क्षमता निर्माण में सहयोग का निर्णय लिया गया। दोनों नेताओं ने समग्र आॢथक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए व्यापार के क्षेत्र में विविधता लाने और बाजार पहुंच की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने फिनटेक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया। साइबर सुरक्षा, आतंकवाद और कट्टरपंथियों पर अंकुश के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे। अभी भारत और इंडोनेशिया के बीच 30 अरब डॉलर का व्यापार होता है, जिसे और बढ़ाने का निर्णय लिया गया। स्वास्थ्य, मेरीटाइम्स सुरक्षा, संस्कृृति, डिजिटल स्पेस जैसे क्षेत्र में भी मिलकर काम करने की काफी संभावनाएं हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दादागिरी पर अंकुश के लिए भारत और इंडोनेशिया को मिलकर काम करना होगा। इंडोनेशिया की तरह भारत भी चीन की दादागिरी से परेशान है। ऐसे में दोनों देशों के बीच मिलकर काम करने की जरूरत है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र नौवहन सुनिश्चित करने की जरूरत है। इंडोनेशिया मलक्का के पास स्थित है जहां से दुनिया का सबसे ज्यादा व्यापार होता है। चीन का 80 प्रतिशत व्यापार मलक्का से ही होता है। ऐसी स्थिति में समय आने पर भारत इंडोनेशिया की मदद से मलक्का से जाने वाले चीनी जहाजों को रोक सकता है। आतंकवाद एवं धार्मिक कट्टरता आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है। दोनों देश इस पर लगाम लगाने के लिए काम करेंगे। यह सबको मालूम है कि पाकिस्तान भारत में आतंकी समूहों की मदद से हमेशा गड़बड़ी फैलाने की कोशिश करता रहा है। अब तो बांग्लादेश भी भारत के लिए समस्या पैदा करने में लगा हुआ है। भारत पिछले कई वर्षों से पाक प्रायोजित आतंकवाद से परेशान है। पाकिस्तान से आये जिहादी लगातार भारत में हिंसक घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। चीन की विस्तारवादी नीति को देखते हुए भारत और इंडोनेशिया दोनों को एक-दूसरे से सहयोग की जरूरत है। भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ संबंध बेहतर करने एवं व्यापार बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। फिलीपींस एवं वियतनाम के साथ रक्षा समझौते भी हुए हैं जिसको भारत अपने खतरनाक मिसाइल ब्रह्मोस की आपूर्ति करेगा। चीन पहले से ही भारत को घेरने के लिए षड्यंत्र रचता रहा है। अब समय आ गया है कि भारत को भी अपनी रक्षा तैयारी और तेज करनी होगी। साथ ही आसियान के देशों को भी अपने साथ जोड़कर रखना होगा।
भारत-इंडोनेशिया संबंध
