70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान संपन्न हो गया। 13,766 मतदान केंद्रों पर मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कर दिया है। दिल्ली विधानसभा का चुनाव सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस तीनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। जहां आम आदमी पार्टी जीत दर्ज कर फिर से सत्ता में वापसी का दावा कर रही है, वहीं भाजपा दिल्ली में फतह कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हाथ मजबूत करना चाहती है। कांग्रेस ने भी विधानसभा चुनाव में पूरा जोर लगाया ताकि कांग्रेस के गिरते ग्राफ को रोका जा सके। इस बार का दिल्ली का चुनाव त्रिकोणीय रहा है। मतदान के बाद एक्जिट पोल का आना शुरू हो गया है। अब तक 11 एजेंसियों द्वारा किये गए एक्जिट पोल में 9 में भाजपा को बहुमत दिखाया गया है, जबकि 2 एक्जिट पोल में आम आदमी पार्टी को बढ़त दिखाई गई है। 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए छत्तीस का आंकड़ा छूना पड़ेगा। इस बार का चुनाव प्रचार काफी आक्रामक रहा। चुनाव प्रचार की विशेष बात यह रही कि यहां इंडिया गठबंधन के दो घटकों कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी ने एक-दूसरे पर तीखे हमले किये। कांग्रेस ने केजरीवाल तथा उनकी पार्टी को कठघरे में खड़ा करने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं दिया। वर्ष 2015 में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटों पर जीत दर्ज कर दिल्ली से कांग्रेस को उखाड़ फेंका था। वर्ष 2020 में आम आदमी पार्टी 62 सोटों पर फतह की, जबकि भाजपा के खाते में केवल 8 सीटें गई। इस बार भाजपा ने एक बड़ी रणनीति के तहत दिल्ली में चुनाव प्रचार किया। आप तथा कांग्रेस दोनों ने ही मतदाता सूची में गड़बड़ी करने सहित कई आरोप एक-दूसरे पर लगाये। शराब घोटाला तथा संविधान को खत्म करने का मामला भी छाया रहा। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ ने भाजपा को दिल्ली विधानसभा के चुनाव प्रचार में निश्चित रूप से संजीवनी का काम किया है। मोदी सरकार ने केंद्रीय बजट में मध्यम वर्ग तथा नौकरीपेशा लोगों के लिए 12 लाख की सालाना आमदनी पर आयकर समाप्त कर दी है। मालूम हो कि दिल्ली में लाखों की संख्या में नौकरीपेशा से जुड़े लोग रहते हैं, जिन्हें आयकर में मिली छूट से प्रसन्नता होगी। ऐसे लोग निश्चित रूप से भाजपा के पक्ष में मतदान किये होंगे। अगर एक्जिट पोल की माने तो दिल्ली में अगली सरकार भाजपा की होगी। लेकिन एक्जिट पोल पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता, क्योंकि हरियाणा एवं महाराष्ट्र में इसकी विश्वसनीयता को धक्का लगा था। इसी को ढाल बनाकर आम आदमी पार्टी तथा कांग्रेस अपना बचाव करते हुए मतगणना तक इंतजार करने की बात कह रही है। आगामी 8 फरवरी को मतगणना होगी जिसके बाद स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। दिल्ली विधानसभा का चुनाव परिणाम राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करेगा। अगर भाजपा की जीत होती है तो पार्टी का कद बढ़ेगा तथा सहयोगी दलों में एक सकारात्मक संदेश जाएगा। अगर आप की जीत होती है तो इससे विपक्षी गठबंधन मजबूत होगा। सब कुछ अब चुनाव परिणाम पर निर्भर है।
एक्जिट पोल
