नक्सलियों के खात्मे के लिए केंद्र सरकार ने एक कार्ययोजना तैयार की है। इसी के तहत नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। पिछले रविवार को सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के जंगलों में एक अभियान चलाकर 31 नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया। ऑपरेशन के दौरान दो जवान शहीद हो गए तथा दो अन्य घायल हो गए जिनका इलाज चल रहा है। खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली थी कि राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में नक्सलियों का एक बड़ा ग्रुप छिपा हुआ है। इसके बाद सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम ने ऑपरेशन शुरू किया जिसमें 650 अधिकारी और जवान शामिल थे। इन नक्सलियों से एके-47, इंसास, एसएलआर तथा 303 राइफल बरामद किया गया। नक्सलियों से ग्रेनेड लांचर तथा विस्फोटक भी बरामद हुए। बस्तर डिवीजन में चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन में इस वर्ष अब तक 65 नक्सली मारे गए हैं। पिछले साल सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़ में एंटी नक्सली ऑपरेशन अभियान चलाकर 219 नक्सलियों को मौत के घाट उतार चुका है। नक्सली देश के 10-11 राज्यों में फैले हुए थे, किंतु अभी वे छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं महाराष्ट्र में सक्रिय हैं। केंद्र सरकार ने नक्सलियों को खत्म करने के लिए सुरक्षा बलों को पूरी छूट दे दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कई बार सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं कि 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त कर दिया जाएगा। देखना है कि गृह मंत्रालय यह काम निर्धारित समय के भीतर कर पाती है या नहीं। देश में नक्सलियों की जड़ काफी गहरी है। वे ज्यादातर जंगल एवं पहाड़ी क्षेत्रों में अपना आश्रय बनाते हैं ताकि पुलिस वहां पहुंच नहीं सके। वहां की आबादी भी उतनी जागरूक नहीं होती ताकि उनका कड़ा विरोध कर सके। नक्सली उनकी गरीबी एवं अशिक्षित होने का फायदा उठाकर अपना काम आसान करते हैं। अगर नक्सलियों पर लगाम कसना है तो जमीनी कार्रवाई के साथ-साथ उनके आमदनी के स्रोतों को बंद करना होगा। सुरक्षा बलों की कार्रवाई के दौरान नक्सली पहाड़ एवं बीहड़ जंगलों का फायदा उठाते हुए एक राज्य से दूसरे राज्य में फरार हो जाते हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद उग्रवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई शुरू हुई है। जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर क्षेत्र तक सक्रिय आतंकियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के तहत कार्रवाई हुई है। जम्मू-कश्मीर में भी अनेक आतंकी मारे गए हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में सक्रिय लगभग सभी आतंकी या तो राष्ट्र की मुख्य धारा में लौट चुके हैं या संघर्ष विराम में है। मोदी सरकार द्वारा उठाये गए कदमों के बाद पूर्वोत्तर में शांति का वातावरण बना है जिससे विकास की प्रक्रिया तेज हुई है। केवल अल्फा संगठन ही अभी संघर्ष विराम से बाहर है। बांग्लादेश में मोहम्मद युनूस सरकार के सत्ता में आने के बाद उग्रवादी एवं जिहादी गतिविधियों में तेजी आने के संकेत हैं। केंद्रीय गृह विभाग एवं खुफिया तंत्र को सतर्क रहने की जरूरत है। पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई भी बांग्लादेश में सक्रिय कट्टरपंथी ताकतों को हवा देने में लगी है। अगर देश से नक्सलियों का सफाया होता है तो यह देश के लिए बड़ी कामयाबी होगी।
नक्सलियों के खिलाफ अभियान
