ट्रंप प्रशासन ने रंजनी श्रीनिवासन का वीजा रद्द कर दिया है। रंजनी भारतीय नागरिक हैं और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही थीं। अमरीका में ट्रंप प्रशासन ने फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में भाग लेने वाले विदेशियों को निर्वासित करने के अभियान को और तेज कर दिया है। यही कारण है कि अमरीकी सुरक्षा विभाग लगातार उन विदेशी लोगों और छात्रों का वीजा रद्द कर रहा है,जो हमास के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे,लेकिन इन सब में भारतीय छात्रा रजनी श्रीनिवासन क्यों चर्चा में हैं अमरीका के होमलैंड सुरक्षा विभाग ने बताया कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक भारतीय छात्रा रजनी श्रीनिवासन का 5 मार्च, 2025 को वीजा रद्द कर दिया गया। विभाग ने बताया कि रजनी एफ 1 स्टूडेंट वीजा पर अमरीका आई थीं, लेकिन वह हमास का समर्थन करने वाले प्रदर्शनों में शामिल थीं। हालांकि अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि उनके पास इसके क्या सबूत हैं कि रजनी इन प्रदर्शनों में शामिल थीं। रजनी के डिपोर्ट करने के बाद विभाग ने उनका एक वीडियो जारी किया, जिसमें वह अपने बैग लेकर जाती दिख रही हैं। फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में भाग लेने वाले विदेशियों को निर्वासित करने के अभियान के चलते अमरीकी न्याय विभाग इस बात की भी जांच कर रहा कि क्या कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने अपने कैंपस में अवैध विदेशियों को छुपाया है। इसी बीच यूनिवर्सिटी से बीते शनिवार (8 मार्च, 2025) को महमूद खलील को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद से यूनिवर्सिटी काफी दबाव में है। इन्हीं विवादों की वजह से अमरीकी सरकार ने यूनिवर्सिटी को दिए जाने वाले 400 मिलियन अमरीकी डालर को रद्द कर दिया हैं, जिनमें से ज्यादातर पैसा चिकित्सा अनुसंधान के लिए इस्तेमाल किया जाना था। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक वेबसाइट के मुताबिक रंजनी श्रीनिवास ने अहमदाबाद की सीईपीटी यूनिवर्सिटी से डिजाइन में बैचलर्स की पढ़ाई की है और उन्हें फुलब्राइट नेहरू स्कॉलरशिप भी मिली थी। अमरीका में होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की प्रमुख क्रिस्टी नोम ने रंजनी का वीडियो अपने एक्स अकाउंट पर शेयर कर लिखा कि जब आप हिंसा और आतंक की वकालत करते हैं तब यह विशेषाधिकार खत्म कर दिया जाना चाहिए और आपको इस देश में नहीं होना चाहिए। मुझे खुशी है कि कोलंबिया विश्वविद्यालय की एक आतंकियों के प्रति सहानुभूति रखने वाली ने सीबीपी होम ऐप का इस्तेमाल कर खुद को डिपोर्ट (सेल्फ डिपोर्ट) किया। रंजनी ने जिस सीबीपी होम ऐप के जरिए खुद को सेल्फ डिपोर्ट किया, असल में पहले इसका नाम सीबीपी वन था और इसे ट्रंप की पूर्ववर्ती बाइडेन सरकार ने शुरू किया था। यह ऐप प्रवासियों को कानूनी रूप से अमरीका आने में मदद करता था, इसमें लोग पासपोर्ट की जानकारी, फेस स्कैन और बाकी डिटेल्स अपलोड कर सकते थे। साथ ही वे सीमा चौकियों पर अपॉइंटमेंट भी बुक कर सकते थे, लेकिन जब ट्रंप आए तब उन्होंने सीबीपी वन ऐप को सीबीपी होम बना दिया गया। इसका मतलब जो ऐप प्रवासियों को कानूनी रूप से अमरीका आने में मदद करता था, अब वह अवैध आप्रवासियों को कानूनी रूप से अमरीका से जाने में मदद कर रहा है। यह ऐप फ्री है। ऐप पर इंटेंट टू डिपार्ट फॉर्म भरना होता है और अपना बायोडेटा और फोटो अपलोड करनी होती है। यह भी बताना होगा कि क्या आपके पास वापस जाने के लिए पैसा है और क्या आपके पास अपने देश का वैध पासपोर्ट है। जब आप अमरीका से बाहर चले जाएंगे, तो आपको अपनी विदाई की पुष्टि भी करनी होगी, लेकिन इसकी निगरानी कैसे होगी, ये अभी साफ नहीं है। सरकार यही कहती है कि इस सिस्टम से इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट की ओर से जबरदस्ती किए जाने वाले डिपोर्टेशन से बचा जा सकता है, इसमें डिपोर्टेशन की कार्रवाई सख्ती से की जाती है। हाल ही में अमरीका से जंजीर में जकड़कर भारत वापस भेजे गए ऐसे लोगों की तस्वीरें सामने आई थीं। सेक्रेटरी ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी का कहना है कि जो लोग सेल्फ डिपोर्ट करते हैं, वे कानूनी रूप से वापस आ सकते हैं पर क्या ऐसा सच में ऐसा होगा? इसकी कोई गारंटी नहीं है।
रंजनी का वीजा रद्द क्यों?
