असम विधानसभा बीते शुक्रवार को मरियानी के भाजपा विधायक रुपज्योति कुर्मी के तांडव, दादागिरी, गाली- गलौज और अभद्र आचरण का गवाह बना। यह दिन असम विधानसभा के काले अध्याय के रुप में जाना जाएगा। समझ से परे है कि लोकतंात्रिक तरीके से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचा व्यक्ति इतना गैर जिम्मेवार कैसे हो सकता है? आखिरकार आज के जनप्रतिििनधियों ने सदन या संसद को क्या समझ लिया है। लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर में कोई भी व्यक्ति वैसा व्यवहार नहीं कर सकता है,जैसा बीते शुक्रवार को मरियानी के विधायक रुपज्योति कुर्मी ने किया। विधानसभा में शोर- शराबा करने वाले गैर जिम्मेवार विधायक कैसे भूल जाते हैं कि जहां वे गैर संसदीय आचरण कर रहे हैं,वह आपका ड्राइंग रूम या बैठकखाना नहीं है। आपको आपके क्षेत्र की जनता अपनी बातें कहने और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए विधानसभा में भेजते हैं ताकि आप उनकी बातें उठा सकें, परंतु जीत के घमंड से प्रफुल्लित लोग भूल जाते हैं कि वे विधानसभा में क्यों पहुंच हुए हैं। उनके विधानसभाई क्षेत्र के लोगों से उनसे कितनी उम्मीदें हैं। शुक्रवार को विधानसभा में एक ऐसी घटना घटी, जब एक सत्तारूढ़ विधायक ने विपक्ष के नेता को गाली दी और एक वरिष्ठ विधायक पर हमला करने की कोशिश की। उल्लेखनीय है कि विपक्ष के विधायकों को बहुत ही साधारण कारणों से सदन के काम से निलंबित या निष्कासित कर दिया जाना आम बात हो गई है। हालांकि, शुक्रवार को सदन में उनके अभद्र व्यवहार के लिए सत्तारूढ़ विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह घटना मौजूदा विधानसभा सत्र में बजट कटौती प्रस्ताव पर बहस के दौरान हुई। भाजपा विधायक रूपज्योति कुर्मी विपक्ष के लोक निर्माण विभाग में कटौती के प्रस्ताव पर बोल रहे थे। विधायक कुर्मी जब अपने बयान में सरकार की तारीफ कर रहे थे, तभी विधायक अखिल गोगोई ने कुर्मी से धोदर आली की मौजूदा हालत पर बयान देने को कहा। विधायक अखिल गोगोई की बात पर कुर्मी क्रोधित हो गए और उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि आप मेरे बयान के बीच न बोलें, वरना मैं आपका माइक तोड़ दूंगा। विधायक रूपज्योति कुर्मी के ऐसे आचरण पर विपक्षी विधायकों ने विधानसभा में अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे विधानसभा उपाध्यक्ष का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि माननीय सदस्य विधानसभा में अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। विपक्षी विधायकों के इस कार्य पर विधायक कुर्मी अधिक क्रोधित हो गए और अभद्र आचरण करने लगे। मजबूर होकर कांग्रेस के निलंबित विधायक शेरमान अली ने विधायक कुर्मी से कहा कि वे विधानसभा के अध्यक्ष की ओर देखते हुए अपना बयान रखें। इस बात पर अधिक क्रोधित होकर विधायक कुर्मी शेरमान अली को मारने के लिए आगे बढ़े। विधानसभा में तैनात एक मार्शल ने शेरमान अली को हमले से बचा लिया। विधायक रूपज्योति कुर्मी के व्यवहार को लेकर सदन में काफी हलचल मचा। नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया ने विधानसभा उपाध्यक्ष सेे कहा कि विधानसभा के एक सदस्य ने अवांछित आचरण किया है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। विधायक अखिल गोगोई ने भी कहा कि उपाध्यक्ष महोदय आपको कुछ कार्रवाई करनी चाहिए। सदन में कैसा आचरण करना चाहिए सदस्य को इसे जानना चाहिए। अखिल गोगोई की बात पर विधायक कुर्मी भड़क उठे और नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया तथा विधायक अखिल गोगोई को गालियां देने लगे। रूपज्योति कुर्मी के आचरण से असंतुष्ट बीपीएफ विधायक दुर्गादास बोड़ो ने कहा कि उपाध्यक्ष महोदय सदन के अंदर प्रत्येक सदस्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी अध्यक्ष की होती है। इसके बाद रूपज्योति कुर्मी के अभद्र आचरण के खिलाफ कांग्रेस, सीपीआई (एम), एआईयूडीएफ तथा राइजर दल के विधायकों ने अध्यक्ष से कार्रवाई की मांग की। हालांकि, उपाध्यक्ष डॉ. नोमल मोमिन ने रूपज्योति कुर्मी के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर दिया और विधानसभा का कार्यक्रम जारी रखना चाहा। इससे असंतुष्ट होकर विपक्षी विधायक 10 मिनट के लिए सदन से बाहर चले गए। विपक्षी विधायकों द्वारा सदन छोड़ने की घोषणा के बाद उपाध्यक्ष डॉ नोमल मोमिन ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। 10 मिनट बाद विधायक कुर्मी के खिलाफ बिना किसी कार्रवाई के विधानसभा की कार्यवाही सामान्य रूप से शुरू हुई। गौरतलब है कि गुवाहाटी विश्वविद्यालय सहित कई कॉलेजों के छात्र शुक्रवार को विधानसभा में इस घटना की साक्षी बने। इस घटना पर अपना विचार प्रकट करते हुए नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया ने कहा कि यह घटना 1937 से शुरू हुई हमारी विधानसभा में एक बुरी याद है। विधानसभा में अध्यक्ष की भूमिका से असंतुष्ट विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि विपक्ष को असंवैधानिक शब्दों से अपमानित करने के बावजूद उपाध्यक्ष ने रूपज्योति कुर्मी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। यह असम विधानसभा के इतिहास में पहली घटना है। यह भाजपा पार्टी और सरकार की फासीवादी मानसिकता का प्रतिबिंब है। विधानसभा में यह सबसे शर्मनाक घटना है। यह संसदीय लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है।
अभद्र आचरण
