बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। ढाका की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पिछले वर्ष अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ वहां के छात्रों ने जोरदार आंदोलन किया था। बाद में इस आंदोलन में इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतें शामिल हो गई। बढ़ते तनाव एवं हिंसा के बीच शेख हसीना को भागकर जान बचाने के लिए भारत में शरण लेनी पड़ी। उसके बाद से ही शेख हसीना भारत में ही हैं। मोहम्मद यूनुस ने जनता से वादा किया था कि वह आने के तुरंत बाद बांग्लादेश में चुनाव करवा देंगे। लेकिन आठ महीने बीतने के बावजूद अभी तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई। शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने भी सरकार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। नए सरकार के शासन में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं तथा उनकी संपत्ति को निशाना बनाया गया है। इस पूरे मामले में यूनुस प्रशासन की चुप्पी यह दर्शाती है कि यह सरकार हिंदुओं के प्रति भेदभाव की नीति अपना रही है। यह सबको मालूम है कि मोहम्मद यूनुस अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन के चहेते थे। लेकिन अमरीका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद स्थिति बदल गई है। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि बांग्लादेश के मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देख रहे हैं। ऐसी स्थिति में अमरीका से सहायता एवं सहयोग मिलना बंद हो गया है। बांग्लादेश की जनता महंगाई के कारण वर्तमान सरकार से काफी नाराज है क्योंकि भारत की तरफ से निर्यात हाने वाली खाद्य सामग्री की किल्लत हो गई है। इस पूरे मामले में पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई बांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ाने में लगी हुई है। ऐसी खबर है कि बांग्लादेश की सेना में भी दो गुट बन गए हैं। एक गुट पाक समर्थित जामत-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों का समर्थक है, जबकि दूसरा गुट वर्तमान सेना प्रमुख जमान के साथ है। यह ग्रुप भारत के खिलाफ किसी भी तरह की गतिविधियों के खिलाफ है। सेना में बढ़ते गुटबाजी को देखते हुए सेना प्रमुख बकर जमान काफी सक्रिय हो गए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बांग्लादेशी सेना ने ढाका को अपने कब्जे में ले लिया है। कभी भी वहां तख्तापलट जैसी घटना हो सकती है। भारत इस पूरे मामले में नजदीकी नजर रखे हुए है। हाली ही में बांग्लादेश में सेना की आपात बैठक हुई थी, जिसमें वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई थी। अपनी खराब छवि को सुधारने के लिए यूनुस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता करने को इच्छुक हैं, किंतु भारत सरकार इस मामले में उदासीन बनी हुई है। मोहम्मद यूनुस चीन की यात्रा करने वाले हैं। चीन भी मोहम्मद यूनुस को अपने ट्रप कार्ड के रूप में इस्तेमाल करना चाहता है। मोहम्मद यूनुस ने खतरे को भांपते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ से भी मदद देने की अपील की है। बांग्लादेश में आंदोलनकारी छात्रों की नई पार्टी एनसीपी ने भी सेना पर आरोप लगाया है कि वह शेख हसीना को फिर से सत्ता में लाने के लिए प्रयास कर रही है। वर्तमान सेना प्रमुख बांग्लादेश की एकता एवं अखंडता के मुद्दे पर कोई जोखिम लेना नहीं चाहते। मोहम्मद यूनुस ने अपनी मनमानी नीतियों के लागू नहीं होने के कारण सेना प्रमुख को बदलने की साजिश कर रहे थे, किंतु सेना प्रमुख ने उनकी साजिश को नाकाम कर दिया है। हाल ही में भारत की यात्रा पर आई अमरीकी खुफिया विभाग के निदेशक तुलसी गबार्ड ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले की निंदा की है। अमरीका ने बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार के उल्लंघन के बारे में गंभीर चिंता जाहिर की है। जिस अमरीका के बल पर यूनुस ने बांग्लादेश में सत्ता हासिल की आज वही अमरीका उनके साथ खड़ा नहीं है। बांग्लादेश में चल रहे राजनीतिक अस्थिरता भारत के लिए चिंता का विषय है। शेख हसीना के शासन में भारत और बांग्लादेश के संबंध काफी मधुर रहे हैं। भारत को बांग्लादेश में पाकिस्तान की साजिश नाकाम करने के लिए कारगर कदम उठाना चाहिए।
बांग्लादेश में तनाव
