अमरीका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद ऐसा लग रहा था कि रूस यूक्रेन युद्ध जल्द समाप्त हो जाएगा लेकिन युद्ध खत्म होने की जगह और भयंकर होता जा रहा है। इसका कारण यह है कि ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे यूरोपीय देश नहीं चाहते हैं कि रूस को बढ़त मिले। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की भी युद्ध बंद करने के पक्ष में नहीं हैं। जिस वक्त अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच बातचीत चल रही थी उसी वक्त यूक्रेन ने रूस के संवेदनशील परमाणु अड्डे पर हमला कर रूस को भड़का दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि 30 दिन के लिए होने वाला युद्ध विराम खूनी युद्ध में बदल गया। यूक्रेन के हमले के जवाब में रूस ने भी यूक्रेन पर भयंकर हमले किए जिससे यूक्रेन को काफी नुकसान हुआ। रूस अपनी शर्तों पर युद्ध विराम चाहता है जबकि यूक्रेन इसके लिए तैयार नहीं दिख रहा है। अमरीका ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आगे यूक्रेन को रूस से युद्ध लड़ने के लिए कोई सहायता नहीं देगा। लेकिन अब यूरोपीय देश यूक्रेन को सैन्य मदद देने के लिए आगे आ रहे हैं। यह सबको मालूम है कि अमरीकी सहायता के बिना यूक्रेन बहुत दिनों तक रूस के सामने टीक नहीं सकता। ट्रंप चाहते हैं कि रूस के साथ युद्ध विराम हो जाए ताकि अमरीका का ध्यान यूरोप से हटकर चीन की ओर लगाया जा सके। राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार चीन रूस के मुकाबले अमरीका का बड़ा दुश्मन है। वैसे भी ट्रंप और पुतिन के अच्छे संबंध रहे हैं। रूस चाहता है कि काला सागर से सटे यूक्रेन के चार बड़े इलाके रूस को मिल जाए ताकि भविष्य में ब्लैक सी से होने वाले जहाजों के आवागमन पर कोई असर नहीं पड़े। रूस ने पहले ही वर्ष 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। अभी तक रूस ने यूक्रेन के 25 प्रतिशत भूमि पर कब्जा कर लिया है। पुतिन का लक्ष्य है कि ब्लैक सी से सटे इलाके उसके कब्जे में आ जाए उसके बाद ही युद्ध बंद किया जाएगा। दूसरा विकल्प यह है कि अगर यूक्रेन इस इलाके पर रूस का कब्जा मान लेता है तो युद्ध बंद हो सकता है। यूरोप में नेटो देशों की बैठक भी हुई थी जिसमें यूक्रेन को सहायता देने के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। पोलैंड जैसे देश भी नहीं चाहते हैं कि रूस के साथ युद्ध बंद हो। रूस ने जरूरत पड़ने पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का विकल्प खुला रखा है। ऐसी खबर है कि रूस ने अपने परमाणु हथियारों को सक्रिय कर दिया है ताकि जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके। भारत इस पूरे मामले में सावधानीपूर्वक आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि भारत शांति के पक्ष में है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन तथा अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप के सामने मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि वर्तमान समय युद्ध का नहीं है। किसी समस्या का हल युद्ध से नहीं हो सकता। भारत द्वारा इस मामले में तटस्थ नीति अपनाने के कारण ही भारत को लाभ मिला है। रूस ने अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए रियायत दर पर भारत को कच्चे तेल की आपूॢत की जिसको रिफाइन कर भारत ने अपनी जरूरत को पूरा करने के साथ ही यूरोपीय देशों को भी बेचा। भारत के इस कदम का अमरीका सहित कई यूरोपीय देशों ने काफी आलोचना की, किंतु भारत अपने निर्णय से टसमस नहीं हुआ। अगर यूरोप रूस द्वारा भेजे गए तेल को भारत से नहीं खरीदता तो वहां भी महंगाई चरम पर पहुंच जाती। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया तीसरे युद्ध के मुहाने पर बैठी हुई है। अगर रूस ने परमाणु शस्त्र का इस्तेमाल कर दिया तो स्थिति और भयानक हो सकती है। रूस यूक्रेन युद्ध बंद करवाना अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसी तरह इजरायल हमास युद्ध भी दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। यहां भी हमास ने युद्ध विराम का उल्लंघन करते हुए फिर से हमले शुरू कर दिए। इजरायल द्वारा इसका जवाब देना उचित ही है। किंतु गाजा में फिलिस्तीनी नागरिकों द्वारा हमास के खिलाफ सड़कों पर उतरना एक बड़ा संकेत है। अब वहां की जनता शांति चाहती है इसीलिए वह हमास की गतिविधियों से खुश नहीं है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। रूसी विदेश मंत्री ने इसकी पुष्टी की है किंतु अभी तक तिथि निश्चित नहीं हो पाई है। रूस यूक्रेन युद्ध हर हाल में बंद होना चाहिए। इस युद्ध से न केवल रूस और यूक्रेन की बर्बादी हुई है बल्कि इसका असर यूरोप पर भी पड़ रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध
