मारे देश के राजनेताओं में दिन-प्रतिदिन नैतिकता कम होती जा रही है। कई बड़े नेता आए दिन विवादास्पद बयान देखकर चर्चाओं में बने रहते हैं। वहीं बहुत से निर्वाचित विधायकों, सांसदों, मंत्रियों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों पर अपराधिक मामले दर्ज हो रहें हैं। जिससे राजनीति के क्षेत्र में काम करने वालों की छवि खराब होती जा रही है। देश की राजनीति में आज अपराध का इतना घालमेल हो गया है कि पता ही नहीं चलता कि कौन सा जनप्रतिनिधि अपराधी है और किसकी छवि स्वच्छ है। अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के नेता बनने से जहां राजनीतिक दागदार हुई है। वहीं नेताओं की जनता की दूरी भी बढ़ने लगी है। मौजूदा समय में राजनीतिक व्यवसाय बन चुकी है। राजनीति में वही लोग सफल होते हैं जो या तो बड़े नेताओं के परिवार से हैं या फिर बहुत पैसे वाले हैं। राजनीति के क्षेत्र में अब सेवा, संगठन, वफादार कार्यकर्ताओं का कोई महत्व नहीं रह गया है। राजनीति पूरी तरह पैसों की चकाचौंध में लिप्त हो गई है। एक समय था जब धरातल पर काम करने वाला पार्टी कार्यकर्ता आगे चलकर जनप्रतिनिधि बनता था। जमीन से उठकर आगे आने वाला नेता आम जनता से जुड़ा रहता था और वह जनता के सुख-दुख से वाकिफ भी होता था। इसलिए वह आमजन के हित में काम करता था। मगर अब लोग पैसे के बल पर पैराशूट से उतरकर राजनीति करने लगे हैं। वह पैसे के बल पर ही चुनाव जीत जाते हैं। इसलिए उन्हें आमजन की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं रहता है। ऐसे नेता पांच सितारा संस्कृति के वाहक होते हैं। ऐसे नेता राजनीति में आने के लिए पहले खूब पैसा खर्च करते हैं और जब किसी पद पर पहुंच जाते हैं तो जमकर भ्रष्टाचार कर पैसा कमाते हैं। ऐसे लोगों के कारण ही आज राजनीति समाज सेवा की बजाय व्यवसाय बन गई है। 1971 के लोकसभा चुनाव में झुंझुनू सीट पर देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने के कृष्ण कुमार बिड़ला को हराने वाले शिवनाथ सिंह गिल को मैंने 1998 से 2003 में विधायक के रूप में देखा है। वह अपने क्षेत्र से जयपुर जाते या अपने घर से विधानसभा जाते हमेशा सरकारी बस का ही उपयोग करते थे। कभी निजी गाड़ियों से नहीं घूमते थे। इसी के चलते उन्होंने राजनीति में 50 साल लंबी पारी खेली थी। वह ईमानदार थे इसीलिए ईमानदारी से रहते थे। आज हम देखते हैं कि राजनीतिक दलों के छोटे-छोटे कार्यकर्ता भी कई लाख रूपयों की महंगी गाड़ियों में घूमते हैं। पार्टी का कोई नेता उनसे यह नहीं पूछता है कि इतनी महंगी गाड़ियां खरीदने के लिए पैसे कहां से आता है। सबको पता है की राजनीति में आज छूट-भैया नेता भी सत्ता की दलाली में पैसा कमा रहे हैं। दलाली के पैसों में बड़े नेताओं का भी हिस्सा होता है। इसीलिए उनकी तरफ कोई अंगुली नहीं उठाता हैं। चुनाव सुधार पर काम करने वाली एक गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि देश के 45 प्रतिशत विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस संगठन ने देश के 28 राज्यों और विधानसभा वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 4123 विधायकों में से 4092 के चुनावी हलफनामे का विश्लेषण किया है। जिसमें आंध्र प्रदेश के सबसे ज्यादा 174 में से 138 यानी 79 प्रतिशत विधायकों ने जबकि सिक्किम में सबसे कम 32 में से सिर्फ एक विधायक 3 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। तेलुगु देशम पार्टी के सबसे ज्यादा 134 विधायकों में से 115 यानि 86 प्रतिशत पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। उक्त रिपोर्ट से पता चला कि 1861 विधायकों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। इसमें 1205 पर हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर आरोप हैं। रिपोर्ट के अनुसार 54 विधायकों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के आरोप हैं। वहीं 226 पर धारा 307 और भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत हत्या की कोशिश के आरोप हैं। इसके अलावा 127 विधायकों पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले दर्ज हैं। रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा में चुने जाने वाले आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे उम्मीदवारों की यह सबसे बड़ी संख्या है। कुल 233 सांसदों (43 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे। वहीं उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में लगभग 50 प्रतिशत सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।एक जनवरी 2025 तक वर्तमान या पूर्व विधायकों के खिलाफ कुल 4,732 आपराधिक मामले लंबित थे। उपरोक्त आंकड़ों को देखने से लगता है कि हमारे देश की राजनीति में आपराधियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यदि समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो यह देश के लिए एक बड़ा नासूर बन जाएगी। एक समय ऐसा होगा जब राजनीति का पूरी तरह अपराधीकरण हो जाएगा और स्वच्छ छवि के लोग राजनीति से दूर होते चले जाएंगे। ऐसी स्थिति देश के लिए अच्छी नहीं होगी। सरकार को भी इस दिशा में कड़े कदम उठाने होंगे तभी राजनीति में बढ़ती अपराधियों की संख्या पर लगाम लग पाएगी।