इस वर्ष के अंत में बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का पूर्ण बहुमत है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में दो प्रमुख दलों के अलावा लोक जनशक्ति पार्टी (आर) (लोजपा), हिन्दुस्तानी आवामी पार्टी (हम) तथा उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली पार्टी भी गठबंधन में शामिल हैं। भाजपा अभी सबसे बड़े दल के रूप में शामिल है जिसकी संख्या सबसे ज्यादा है। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक पाॢटयां कमर कस रही है। राजग ने भी अभी से ही अपनी तैयारी को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। केंद्रीय गृहंत्री अमित शाह ने बिहार के गोपालगंज में एक रैली को संबोधित करते हुए चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है। पिछले रविवार को रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाले 15 वर्ष के लालू राज को जंगलराज की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता को यह तय करना है कि उसे जंगलराज चाहिए या विकासराज। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पिछले 65 वर्षों के दौरान बिहार के लिए जो कुछ किया उसके मुकाबले मोदी सरकार ने पिछले दस वर्षों के दौरान ज्यादा काम किया है। कांग्रेस के शासन में बिहार को 23 हजार करोड़ का बजट मिला था। लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार की 13 गुना की वृद्धि हुई है। गरीबी रेखा का आंकड़ा 56 प्रतिशत से घटकर 30 प्रतिशत तक आ गया है। उन्होंने कहा कि बिहार के सीतामढ़ी में मां सीता का मंदिर बनाने के लिए पहल की जाएगी। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राममंदिर की तरह यहां भी मंदिर बनाया जाएगा। पिछले कुछ महिनों से राजग में खींचतान की खबरें चल रही थी। अमित शाह ने राजग के सहयोगियों के साथ बैठक कर गठबंधन को एकजुट करने के लिए प्रयास किया है। पटना में राजग की हुई बैठक में शाह के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी व विजय सिन्हा, केंद्रीय मंत्री ललन ङ्क्षसह, जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, हिन्दुस्तान आवामी मोर्चा की तरफ केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी तथा राष्ट्रीय लोक मंच के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भाग लिया। बैठक में सभी दलों ने मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया ताकि जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश जा सके। नीतीश कुमार वर्ष 2014 से पहले तथा 2022 में राजग का साथ छोड़कर महागठबंधन से हाथ मिला लिए थे। ऐसी खबर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अमित शाह को आश्वासन दिया है कि वे अब भाजपा के साथ रहकर ही चुनाव लड़ेंगे तथा बिहार के लिए काम करेंगे। राजग में असली समस्या सीटों के बंटवारे के वक्त होगी। भाजपा ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि अगले चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहेंगे या कोई और होगा। जनता दल यू चाहती है कि भाजपा चुनाव से पहले ही यह घोषणा कर दे कि राजग के बहुमत में आने पर नीतीश कुमार ही अगले मुख्यमंत्री होंगे। महाराष्ट्र चुनाव के बाद भाजपा ने जिस तरह ज्यादा सीट मिलने पर एकनाथ ङ्क्षशदे को किनारे किया, उससे जदयु ङ्क्षचता में है। भाजपा चाहती है कि विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद ही मुख्यमंत्री के मुद्दे पर अंतिम निर्णय हो। राजग का मुकाबला अगले चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से होना तय है। पिछले चुनाव में राजद ने कांग्रेस तथा भाकपा माले सहित कुछ विपक्षी पाॢटयों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस बार भी राजग का मुकाबला महागठबंधन से होगा। अगले चुनाव में प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाले जनसुराज पार्टी भी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। जनसुराज पार्टी ने यात्राओं का आयोजन कर अपने प्रचार अभियान का शुभारंभ भी कर दिया है। कुल मिलाकर बिहार विधानसभा का चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम का असर राष्ट्रीय राजनीतिक पर निश्चित रूप से पड़ेगा। यही कारण है कि भाजपा हर हालत में बिहार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगाएगी।
बिहार में चुनावी सरगर्मी
