पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित करने के अधिकार का प्रयोग किया गया है, लेकिन यह कदम बिना किसी गंभीर विचार के उठाया गया प्रतीत होता है। 1972 में हुआ शिमला समझौता अब निलंबित हो गया है, और इसके परिणाम पाकिस्तान के लिए भारी पड़ सकते हैं।
शिमला समझौते का महत्व और इसके निलंबन का असर
शिमला समझौते का मुख्य बिंदु था नियंत्रण रेखा (एलओसी) की पवित्रता को बनाए रखना। इसका मतलब था कि दोनों देशों को एलओसी का सम्मान करना होगा, और यह एक स्थायी सीमा के रूप में माना गया था। लेकिन पाकिस्तान ने इस समझौते को निलंबित कर दिया है, जिसका सीधा असर भारत की रणनीतियों पर पड़ सकता है।
अब पाकिस्तान द्वारा यह कदम उठाए जाने के बाद, भारत को एलओसी पार कर किसी भी कार्रवाई की स्वतंत्रता प्राप्त हो सकती है। इससे भारतीय सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में अधिक आक्रामक रणनीति अपना सकती है। इसके परिणामस्वरूप, क्षेत्रीय तनाव और बढ़ सकता है, और पाकिस्तान को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
कश्मीर मुद्दे पर प्रभाव
शिमला समझौते के निलंबन से भारत को कश्मीर पर अपनी नीतियों को मजबूत करने का अवसर मिल सकता है। यह समझौता दोनों देशों को कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बनाए रखने के लिए बाध्य करता था, लेकिन अब भारत इसे और अधिक मजबूती से आगे बढ़ा सकता है।
परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल समझौतों का स्थगन
इसके अलावा, पाकिस्तान ने कुछ अन्य महत्वपूर्ण समझौतों को भी स्थगित कर दिया है, जिनमें परमाणु हमलों को रोकने और बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों की पूर्व सूचना देने से संबंधित समझौते शामिल हैं। इन समझौतों का निलंबन, दोनों देशों के बीच गंभीर गलतफहमियों और परमाणु जोखिम को बढ़ा सकता है।
पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति पर असर
इस कदम से पाकिस्तान की पहले से ही कमजोर कूटनीतिक स्थिति और भी कमजोर हो सकती है। वैश्विक समुदाय इसे एक गैर-जिम्मेदाराना कदम के रूप में देख सकता है, और इसके कारण पाकिस्तान का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलगाव बढ़ सकता है। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह स्थिति और भी कठिन हो सकती है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना मुश्किल हो सकता है।
पाकिस्तानी तीर्थयात्रियों पर असर
1974 में हुए एक समझौते के तहत तीर्थयात्रियों को एक-दूसरे देशों में जाने की सुविधा दी गई थी, जिससे भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान में विभिन्न धार्मिक स्थलों पर जाने की अनुमति मिलती थी। इस समझौते के निलंबन से पाकिस्तान में भारतीय तीर्थयात्रियों को नुकसान हो सकता है।