जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की दुनिया भर में भर्त्सना की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा ने भी एक प्रस्ताव पारित कर पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी ङ्क्षनदा की है। सुरक्षा परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव में इस घटना के लिए जिम्मेवार लोगों, संगठनों, वित्त पोषण करने वाले लोगों को न्याय के दायरे में लाकर दंडित करने की मांग की गई है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता फ्रांस ने किया। इसमें पांच स्थायी तथा दस अस्थायी देश सदस्य हैं, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल हैं। इस बैठक में पाकिस्तान की एक भी नहीं चली, जबकि पाकिस्तान का आका चीन प्रस्ताव का समर्थन करने पर मजबूर हो गया है। संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताया। शायद पहली बार किसी मुद्दे पर अमरीका तथा रूस एक मंच पर खड़े हुए हैं। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहलगाम घटना के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर इस घटना की ङ्क्षनदा की तथा भारत के साथ खड़ा रहने की बात दोहराई। ट्रंप ने कहा कि अमरीका आतंकवाद के खिलाफ भारत के द्वारा की जा रही कार्रवाई का पूरा समर्थन करेगा। अमरीका की खुफिया विभाग के निदेशक तुलसी गेबार्ड ने भी कड़ा बयान देते हुए कहा कि भारत को नृशंस हत्या करने वाले आतंकियों और उनके साजिशकर्ता को चुन चुनकर खात्मा करना चाहिए। अमरीका भारत को इस मामले में हर तरह का सहयोग देने को तत्पर है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि इस मुश्किल घड़ी में रूस भारत के साथ चट्टान की तरह खड़ा है। रूस हमेशा से मुश्किल वक्त में भारत के साथ रहा है। 1971 में जब अमरीका सहित पूरी दुनिया भारत के खिलाफ थी, तब उस वक्त भी रूस ने भारत का साथ दिया। इसलिए अमरीका तथा पश्चिमी देशों की साजिश नाकाम हो गई तथा पाकिस्तान को करारा झटका लगा। इजरायल प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी भारत का पूरा समर्थन किया है। इजरायल भी रूस की तरह मुश्किल वक्त में भारत के साथ हमेशा खड़ा रहा है। फ्रांस, जर्मनी, इटली जैसे देशों ने भी पाकिस्तान के खिलाफ उठाए जाने वाले कार्रवाई में भारत को पूरा समर्थन दिया है। इटली की प्रधानमंत्री जाॢजया मेलोनी ने भी मोदी से बात कर अपना देश का समर्थन दोहराया। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात तथा जॉर्डन ने भी भारत के पक्ष में बयान दिया है। ईरान पहले से ही भारत का समर्थन कर रहा है। तुॢकए को छोड़कर बाकी मुस्लिम देशों का भारत के पक्ष में आने से पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। मोदी सरकार सैन्य कार्रवाई करने से पहले विश्व बिरादरी को अपनी स्थिति स्पष्ट कर देना चाहती है ताकि बाद में कई गलतफहमी पैदा नहीं हो। सबको मालूम है कि भारत में हो रही आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान सेना, उसकी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई तथा वहां बैठे आतंकियों के आका जिम्मेदार हैं। पहलगाम घटना से एक सप्ताह पहले पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर ने पाकिस्तानी प्रवासियों की बैठक में कहा था कि मुसलमान और हिंदू कभी एक नहीं हो सकते क्योंकि उनका रहन-सहन, सोच, परंपरा, रीति-रिवाज तथा अन्य चीज अलग हैं। इसी कारण पाकिस्तान के पूर्वजों ने दो राष्ट्रों के सिद्धांत पर अमल किया। पहलगाम की घटना भी उसी लाइन पर हुई है। ऐसे में संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि पहलगाम की घटना के लिए टीआरएफ के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना भी जिम्मेदार हैं। ऐसा लगता है पाकिस्तानी सेना अपने घरेलू मोर्चे से जनता का ध्यान हटाने के लिए पहलगाम की घटना को अंजाम दिलवाया। मुनीर के अवकाश ग्रहण करने के समय भी नजदीक आ गया है। ऐसा में वे पाकिस्तान में युद्ध का माहौल बनाकर अपना विस्तार चाहते हैं। लेकिन भारत इस बार हर मोर्चे से करारा जवाब देने की तैयारी में है। कूटनीतिक एवं आॢथक मोर्चे से जवाब दिया जा चुका है जबकि सैन्य मोर्चे से जवाब दिया जाना अभी बाकी है।