जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 पर्यटकों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य पर्यटक घायल हो गए। इस नृशंस हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। पूरा देश इस घटना के खिलाफ एकजुट है। देश की विपक्षी पार्टियां भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले के खिलाफ सरकार के साथ खड़ी है। सर्वदलीय बैठक में सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने पहलगाम घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की। ऐसी स्थिति में कुछ शरारती तत्वों द्वारा पाक समर्थित बयान देकर देश की एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश हो रही है। देश के कुछ भागों से मीडिया एवं सोशल मीडिया में कुछ गैर-जिम्मेदाराना बयान आया है, जो गंभीर चिंता का विषय है। खासकर असम में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं। अब तक दो दर्जन से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। असम सरकार ने एआईयूडीएफ के विधायक अमिनुल इस्लाम को भी पाक के समर्थन में बयान देने के खिलाफ गिरफ्तार किया है। ऐसे बयान से भारत विरोधी शक्तियों को प्रोत्साहन मिलेगा तथा देश की एकता कमजोर होगी। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने ऐसे लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लाने तक की धमकी दे दी है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के वक्त सांप्रदायिक नैरेटिव बनाना ठीक नहीं है। खासकर जनप्रतिनिधियों को ऐसा बयान देना शोभा नहीं देता। ऐसे लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। हमारे देश में लोकतंत्र के तहत सबको बोलने की आजादी है, किंतु इसके नाम पर राष्ट्र विरोध बयानों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। देश के सिविल सोसाइटी की भी जिम्मेवारी है कि वह इस तरह के माहौल के खिलाफ आवाज उठाएं। आज पाकिस्तान भारत की कूटनीतिक पहल के कारण दुनिया में अलग-थलग पड़ गया है। आतंकवाद के मुद्दे पर हिंदू-मुस्लिम के बीच ध्रुवीकरण करना ठीक नहीं है। 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद असम में बड़ी संख्या में शरणार्थी और घुसपैठिये आये, लेकिन उनमें से अधिकांश यहीं बस गए। बांग्लादेश में भी पाकिस्तान समर्थक इस्लामिक कट्टरपंथियों का एक बड़ा वर्ग है, जो भारत के खिलाफ साजिश रचता रहता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्वीकार किया है कि असम में गुपचुप तरीके से घुसपैठ हो रहा है। बांग्लादेश से होने वाले घुसपैठ के कारण असम की जनसंख्या का अनुपात तेजी से बदला है। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार के सत्ता में आने के बाद वहां भारत विरोधी शक्तियां सक्रिय हो गई हैं। ऐसे में भारत को सावधान रहना पड़ेगा। जहां पाकिस्तान का एक तबका यह मानता है कि भारत में हुआ आतंकी हमला सही नहीं था, वहीं भारत में कुछ लोगों द्वारा पाकिस्तान परस्त होना समझ से परे हैं। हमारे देश के लोगों का मानना है कि इस बार पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई होनी चाहिए। भारत ने पहले ही कूटनीतिक हमला कर पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेल दिया है। लेकिन इस बार निर्णायक कार्रवाई करने की जरूरत है। पूरा विश्व आतंकवाद के मुद्दे पर आज भारत के साथ खड़ा है। चीन और तुर्की जैसे पाकिस्तान समर्थक देश भी सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान के पक्ष में बयान देने से बच रहे हैं। भारत ने पहले ही पाकिस्तान पर कई प्रतिबंध लगाकर उसे मुसीबत में डाला है। अब जरूरत इस बात की है कि आतंकियों के गुप्त ठिकाने को नष्ट किया जाए तथा साजिशकर्ताओं को कड़ा सबक सिखाया जाए।
पाक समर्थकों पर सख्ती
