जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई, के बाद भारत की सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव देखा गया है। 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक में सेना, नौसेना और वायुसेना को "कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय चुनने की पूरी स्वतंत्रता" देने की घोषणा की।
बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल थे। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए भारत पूरी तरह प्रतिबद्ध है और सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमता पर सरकार को पूरा भरोसा है।
हालांकि “खुली छूट” का मतलब सीधे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर हमला नहीं, बल्कि पाकिस्तान-समर्थित आतंकवादी ढांचे के खिलाफ विशेष ऑपरेशन की योजना है। सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध की स्थिति बनती है, तो भारत को चार हफ्तों के भीतर लगभग 750 अरब डॉलर (62 लाख करोड़ रुपये) का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है—जो 1999 के कारगिल युद्ध से कई गुना अधिक होगा।
वहीं, भारत की सैन्य ताकत पाकिस्तान से कई गुना अधिक मानी जा रही है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का वार्षिक रक्षा बजट 86.1 अरब डॉलर है, जो पाकिस्तान के 10.2 अरब डॉलर के रक्षा खर्च से नौ गुना ज्यादा है। यह भारत को रणनीतिक बढ़त प्रदान करता है।