भारत द्वारा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों के खिलाफ शुरू किए गए ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया, जिसमें सौ से ज्यादा आतंकी मारे गए। लेकिन इस घटना के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के सामरिक एवं नागरिक ठिकानों पर हमला करना शुरू कर दिया। भारत की तैयारी ने पाकिस्तान के सभी मंसूबों को नाकाम कर दिया। पाकिस्तान ने भारत पर तुर्की के आधुनिक ड्रोन, चीन के ड्रोन एवं मिसाइलों से ताबड़तोड़ हमला किया। सेना के अनुसार पाकिस्तान ने लगभग 400 ड्रोन का हमले में इस्तेमाल किया। चीनी मिसाइल भी भारत के रक्षा कवच को भेदने में विफल रही। दोनों देशों में हुए संघर्ष के दौरान एस 400, आकाश, मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने पाक की ओर से किए गए सभी हमलों को नाकाम कर दिया। चीन और तुर्की के हथियारों की विफलता ने दोनों देशों को झकझोर कर रख दिया है। चीनी मिसाइल के साथ-साथ चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए गए एचक्यू-9 मिसाइल डिफेंस सिस्टम तथा लड़ाकू विमान जेएफ-17 बेकार साबित हुए। भारतीय ड्रोनों ने सबसे पहले पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद, रावलपिंडी, लाहौर सहित विभिन्न शहरों में तैनात एचक्यू-9 मिसाइल सिस्टम को तबाह कर दिया। वायु सेना ने चीन के एफ-17 विमान तथा अमरीका के एफ-16 विमान को मार गिराया। पाकिस्तान युद्ध से पहले तुर्की के ड्रोनों ने यूक्रेन-रूस युद्ध एवं अजरबैजान-आर्मेनिया युद्ध में कहर बरपाया था। चीन एवं तुर्की के हथियारों की नाकामी ने विश्व के हथियार बाजार में इनकी मांग घटा दी है। ऐसी खबर है कि बहुत से देशों ने तुर्की के ड्रोन के ऑर्डर को रद्द कर दिया है। इसी तरह चीन के विमानों एवं मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पोल दुनिया के सामने खुल गई है।

अब भारत के हथियारों की मांग विश्व बाजार में बढ़ने लगी है। कई एशियाई, अफ्रीकी देशों ने आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम, ब्रह्मोस मिसाइल तथा अन्य हथियारों में दिलचस्पी दिखाई है। भारत तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों को मुसीबत के समय मदद करता रहा है। तुर्की में जब भयानक भूकंप हुआ था उस वक्त भारत ने ऑपरेशन दोस्ती के तहत सबसे पहले तुर्की पहुंचकर राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया था। वही तुर्की भारत के खिलाफ पाकिस्तान के साथ खड़ा होकर अपन असली चेहरा दिखा दिया। तुर्की केवल पाकिस्तान के साथ ही नहीं था, बल्कि उसको हथियार और ड्रोनों की आपूर्ति भी की थी। तुर्की और अजरबैजान की धोखाधड़ी नीति को देखते हुए अब भारत में भी तुर्की का बहिष्कार शुरू हो गया है। कई जगहों पर व्यापारी संगठनों ने तुर्की के उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। भारत में तुर्की से सालाना लगभग 1000 करोड़ रुपए के सेब का आयात होता था, जिसे अब बंद कर दिया गया है। इसके अलावा तुर्की से मार्बल का आयात होता था, उस पर भी रोक लग रही है। तुर्की और अजरबैजान में बड़ी संख्या में पर्यटक जाते हैं जिससे उन दोनों देशों को काफी राजस्व मिलता है। पाकिस्तान का साथ देने के बाद तुर्की जाने वाले पर्यटकों में काफी कमी आई है। अभी तक 60 प्रतिशत बुकिंग रद्द हो गई है एवं नए बुङ्क्षकग पर लगभग रोक है। इसके कारण अभी तक तुर्की को 32 हजार करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है। इसी तरह अजरबैजान में जाने वाले पर्यटकों में भी भारी गिरावट आ गई है। कुल मिलाकर देखा जाए तो पाकिस्तान का साथ देकर तुर्की और अजरबैजान पर अपने ही पैर कर कुलहाड़ी मार चुका है।