यकीनन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई पर चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई दिया। चीन ने न केवल पाकिस्तान को पूर्ण समर्थन दिया, वरन् चीन ने पाकिस्तान को मिसाइलों सहित विभिन्न हथियारों की सीधी आपूर्ति भी की। दुनिया में रेखांकित हो रहा है कि चीन निर्मित जिन हथियारों का पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ प्रयोग किया, वे सभी हथियार जल, थल और नभ में मौजूद पराक्रमी भारतीय सेना और प्रभावी भारतीय सैन्य व्यवस्था को किसी भी प्रकार की हानि पहुंचाने में नाकाम रहे। चीन अप्रत्यक्ष रूप से भारत को तेजी से आर्थिक शक्ति बनने से रोकना चाहता है। ऐसे में अब भारत के द्वारा पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंधों की कड़ाई के साथ भारत के साथ शत्रुपूर्ण आचरण कर रहे चीन से वर्ष-प्रतिवर्ष तेजी से बढ़ते हुए आयातों को नियंत्रित करके चीन को भी आर्थिक सबक दिया जाना जरूरी है। हाल ही में प्रकाशित नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक चीन के साथ द्विपक्षीय कारोबार में भारत लगातार घाटे की स्थिति में बना हुआ है। पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में चीन को भारत का निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 14.25 अरब डॉलर रह गया, जबकि 2023-24 में यह 16.66 अरब डॉलर था। इतना ही नहीं, चिंताजनक यह भी है कि चीन से 2024-25 में आयात 11.52 प्रतिशत बढ़कर 113.45 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 में यह 101.73 अरब डॉलर था। चीन के साथ व्यापार घाटा पिछले वित्त वर्ष में करीब 17 प्रतिशत बढ़कर 99.2 अरब डॉलर हो गया, जो 2023-24 में 85.07 अरब डॉलर था। चीन 2024-25 में 127.7 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा। दोनों देशों के बीच 2023-24 में 118.4 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।

चीन पर निर्भरता कम करने के जो रणनीतिक कदम उठाए गए हैं, उनका अभी जमीनी तौर पर कोई विशेष असर नहीं दिखा है। अब आतंकी देश पाकिस्तान को विश्व मंच पर खुला समर्थन दे रहे चीन के साथ कोई छह माह पूर्व भारत ने मित्रता की जिस राह को आगे बढ़ाया था, अब उस राह को रोकते हुए चीन के साथ कारोबार असंतुलन को कम करने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाने जरूरी हैं। गौरतलब है कि पिछले वर्ष 31 अक्तूबर को खुशियों के महापर्व दीपावली के दिन भारत-चीन सीमा पर भारत-चीन दोनों देशों के सैनिकों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर दीपावली मनाई थी। इस खुशी का कारण यह था कि पिछले वर्ष 23 अक्तूबर को रूस के कजान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंंग के बीच सार्थक और सफल द्विपक्षीय वार्ता हुई और पांच साल बाद हुई इस वार्ता में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया था। दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए समझौते का स्वागत किया और अधिकारियों को लद्दाख में सीमा विवाद सुलझाने के लिए आगे बातचीत जारी रखने के निर्देश दिए। चीन से भारत के नए सैन्य समझौते के बाद भारत को चीन से आयातों के ढेर से बचने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रखना जरूरी दिखाई दे रहा थे, लेकिन भारत ऐसा नहीं कर पाया और चीन से आयात माह-प्रतिमाह बढ़ते गए हैं। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि चीन पाकिस्तान को आतंकी प्रोत्साहन देते हुए भारत की तेजी से बढ़ती आर्थिकी की राह में बाधक बनना चाहता है। चीन देख रहा है कि भारत आर्थिकी को तेजी से आगे बढ़ा रहा है और भारत अपनी बढ़ती आर्थिक साख व आर्थिक तेजी से इसी वर्ष 2025 में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी आर्थिकी बनते हुए दिखाई देगा। 6 मई को प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की विश्व आर्थिक परिदृश्य से जुड़ी रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इसी वर्ष 2025 के अंत तक भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। उस समय देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़कर 4.187 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी और यह जापान की जीडीपी 4.186 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा होगी।  इतना ही नहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास की ऊंची दर से भारत की जीडीपी 2028 में बढ़कर 5.584 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी और भारत जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। रेटिंग प्रवृत्ति को भी सकारात्मक से स्थिर कर दिया गया है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि दुनिया के उभरते हुए देशों की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से आगे बढ़ रही है। 

निश्चित रूप से भारत को आर्थिक रूप से आगे बढ़ने से रोकने और भारत के साथ शत्रुपूर्ण व्यवहार कर रहे चीन से व्यापार घाटा कम करने के लिए सरकार के द्वारा और अधिक कारगर प्रयास करने होंगे। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि पिछले एक दशक से स्वदेशी उत्पादों को हरसंभव तरीके से प्रोत्साहित करके चीन से आयात घटाने के प्रयास हुए हैं। वर्ष 2019 और 2020 में चीन से तनाव के कारण जैसे-जैसे चीन की भारत के प्रति आक्रामकता और विस्तारवादी नीति सामने आई, वैसे-वैसे स्थानीय उत्पादों के उपयोग की लहर देश भर में बढ़ती हुई दिखाई दी। प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा बार-बार स्थानीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करने और वोकल फॉर लोकल मुहिम के प्रसार ने स्थानीय उत्पादों की खरीदी को पहले की तुलना में अधिक समर्थन दिया है। अब एक बार फिर से देश के करोड़ों लोगों को चीनी उत्पादों की जगह स्वदेशी उत्पादों के उपयोग के नए संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा। हम उम्मीद करें कि भारत के द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान पर प्रचंड प्रहार के दौरान पाकिस्तान के द्वारा जिस तरह चीन के अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग हुआ है, उसके मद्देनजर भारत के द्वारा अब पाकिस्तान को आर्थिक प्रतिबंधों से पस्त करते हुए चीन से भी हरसंभव तरीके से आयात नियंत्रण किए जाएंगे। निश्चित रूप से चीन के लिए भारत के व्यापक बाजार में आयातों में कमी एक आर्थिक प्रहार के रूप में दिखाई देगी और इससे भारत के स्वदेशी उद्योग तथा एमएसएमई लाभान्वित होते हुए भी दिखाई देंगे।