हाल ही में नीति आयोग ने बताया कि जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और आगामी 2.5 से 3 सालों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में रेखांकित होते हुए भी दिखाई दे सकेगा। इस परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय है कि 26 मई को दुनिया के ख्याति प्राप्त अरबपति निवेशक मार्क मोबियस ने कहा कि जापान को पछाड़ते हुए चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना भारत की एक अविश्वसनीय उपलब्धि है। वास्तव में भारत के विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में आगे बढ़ने के पीछे जो प्रमुख कारण हैं, उनमें 140 करोड़ की जनसंख्या, देश के मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रयशक्ति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूरदर्शी नेतृत्व और मजबूत आर्थिक नीतियां शामिल हैं। साथ ही इस समय भारत जिस ऊंची विकास दर और आर्थिक रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है, उससे भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनते हुए भी दिखाई देगा। गौरतलब है कि दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर भारत को कई चुनौतियों से मुकाबला करते हुए आगे बढ़ना होगा। वैश्विक व्यापार तनाव, टैरिफ में हुई बढ़ोतरी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान तथा बढ़ते हुए व्यापार घाटे जैसी चुनौतियों से भारत को निपटना होगा। 

खासतौर से भारत के द्वारा व्यापार घाटे पर नियंत्रण के लिए रणनीतिपूर्वक आगे बढ़ना जरूरी है। चीन से वर्ष-प्रतिवर्ष तेजी से बढ़ते हुए आयातों को नियंत्रित करना होगा। निश्चित रूप से इस समय सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम (एमएसएमई) देश को तीसरी बड़ी आर्थिकी बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। जहां एमएसएमई देश से निर्यात बढ़ाने में नई भूमिका निभा सकते हैं, वहीं आयात नियंत्रण में भी मददगार हो सकते हैं। इस समय नए व्यापार युग के बदलाव के दौर में भारत के एमएसएमई के लिए चुनौतियों के बीच दुनिया में आगे बढ़ने के ऐतिहासिक अवसर भी हैं और ये उद्योग वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि टैरिफ वार से एमएसएमई क्षेत्र को जो झटका लग रहा है, उस झटके से एमएसएमई के उबारने के लिए जहां एक ओर सरकार के द्वारा एमएसएमई के समक्ष दिखाई दे रही चुनौतियों के समाधान के लिए रणनीति बनाकर निर्यातकों को सहारा देना होगा, वहीं एमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों और निर्यातकों को भी नई चुनौतियों के मद्देनजर तैयार होना होगा। इस परिप्रेक्ष्य में यह बात महत्वपूर्ण है कि सरकार निर्यातकों को सहारा देने के लिए 2250 करोड़़ रुपए के निर्यात संवर्धन मिशन को तेजी से लागू करने और बिना रेहन के कर्ज दिए जाने की योजना बना रही है। निसंदेह देश को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में भारत की नई वैश्विक व्यापार रणनीति अहम होगी।  भारत के द्वारा विगत 6 मई को ब्रिटेन के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौते के बाद अब अमरीका और यूरोपीय यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को 31 दिसंबर 2025 तक पूर्ण किए जाने के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ना होगा। इस समय भारत और अमरीका के बीच द्विपक्षीय कारोबार समझौते (बीटीए) के शुरुआती चरण के लिए वार्ता तेजी से आगे बढ़ रही है और 8 जुलाई से भारत और अमरीका के बीच अंतरिम व्यापार समझौता लागू हो सकता है। 

हाल ही में अमरीका के वित्तमंत्री स्कॉट बेसेंट ने व्हाइट हाऊस में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पूरी दुनिया में भारत एक ऐसे पहले देश के रूप में सामने आया है, जो अमरीका के साथ सबसे पहले टैरिफ पर प्रभावी वार्ता करते हुए द्विपक्षीय कारोबार समझौते को तेजी से अंतिम रूप देने की डगर पर आगे बढ़ रहा है। भारत के द्वारा ओमान, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, इजराइल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल सहित अन्य प्रमुख देशों के साथ भी एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जाना होगा। इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिकी बनाने में देश से सेवा निर्यात (सर्विस एक्सपोर्ट) की भूमिका भी प्रभावी होगी। इस समय पूरी दुनिया में भारत सेवा निर्यात की डगर पर छलांगे लगाकर आगे बढ़ रहा है। भारत को सेवा निर्यात की नई वैश्विक राजधानी के रूप में रेखांकित किया जा रहा है। हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय के द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का सेवा निर्यात करीब 387.5 अरब डॉलर का रहा है। भारत में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) की तेजी से नई स्थापनाओं के कारण भी सेवा निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में नैसकॉम और जिनोव की और से जारी इंडिया जीसीसी, लैंडस्केप रिपोर्ट के मुताबिक जीसीसी के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा हब बनते हुए दिखाई दे रहा है। फिलहाल देश में 1700 जीसीसी हैं जिनसे 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। देश में जीसीसी का बाजार आकार 2030 तक 8.4 लाख करोड़ रुपए का होगा। निसंदेह मई 2024 में दुनिया की चौथी बड़ी आर्थिकी बने भारत को आगामी ढाई से तीन साल में तीसरी बड़ी आर्थिकी बनाने के मद्देनजर सरकार के द्वारा अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कुछ और बातों पर ध्यान दिया जाना होगा।अब टैरिफ संरक्षण की बजाय वैश्विक प्रतिस्पर्धा, अनुसंधान व विकास (आरएंडडी) पर भी ध्यान दिया जाना होगा। कृषि तथा श्रम सहित अन्य सुधारों के क्रियान्वयन पर ध्यान देना होगा। भारत में आत्मनिर्भरता की नीति और वोकल फॉर लोकल मंत्र को बढ़ाना होगा। इससे स्थानीय और घरेलू बाजार तेजी से आगे बढ़ेंगे। 

जीएसटी में सरलता, निवेश के लिए अधिक अनुकूल माहौल, कुशल बुनियादी संरचना, लॉजिस्टिक लागत में कमी, गतिशक्ति योजना का तेज क्रियान्वयन, व्यवसाय करने की प्रक्रिया की सरलता जैसे रणनीतिक कदमों से भारत की आर्थिकी की चमक बढ़ाई जा सकेगी। इन सबके साथ-साथ इसी वर्ष 2025 के अंत तक अमरीका और यूरोपीय संघ तथा अन्य प्रमुख देशों के साथ भारत के संभावित मुक्त व्यापार समझौतों के पूर्ण किए जाने पर पूरा ध्यान देना होगा। हम उम्मीद करें कि इन विभिन्न रणनीतिक प्रयासों से भारत वर्ष 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में रेखांकित होते हुए दिखाई देगा।