कामाख्या मंदिर के पट खुले, चार दिवसीय अंबुवासी महायोग का पावन समापन
27 June, 2025
गुवाहाटी : गुवाहाटी की उस शांत सुबह में जब ज्योतिर्मय सूरज ने पूर्व दिशा से झांकना शुरू किया, नीलाचल की पवित्र पर्वत-शृंखला में एक अलौकिक ऊर्जा हिलोरे मार रही थी। समय था-भोर के 3:19 बजे, और स्थान था- मां कामाख्या का पवित्र धाम। चार दिवसीय अंबुवासी महायोग की पूर्णाहुति के साथ ही माता की रजस्वला अवस्था की निवृत्ति हुई, और मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए पुन: खोल दिए गए। जैसे ही कपाट खुले, भक्तों की आंखों में आस्था का सागर छलक उठा। घंटियों की ध्वनि, शंखनाद, और जय मां कामाख्या के उद्घोष से सम्पूर्ण वातावरण देवीमय हो गया। हर वर्ष की तरह इस बार भी आषाढ़ मास के आगमन पर यह अनोखा पर्व मनाया गया। मान्यता है कि इस दौरान देवी स्वयं प्रकृति के चक्र में लीन होकर चार दिनों के विश्राम में चली जाती हैं। यह समय सृष्टि की मौलिक शक्ति के आत्म-नियमन और शुद्धिकरण का होता है। इस विश्रामावस्था में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं-न पूजा, न दर्शन-केवल प्रतीक्षा। 22 जून को प्रारंभ हुआ यह महायोग, इस वर्ष और भी अधिक भक्ति, सुरक्षा और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। इन चार दिनों में मंदिर के आस-पास लाखों श्रद्धालु एकत्र हुए। किसी ने उपवास रखा, किसी ने नाम-संकीर्तन किया, कोई भजन में डूबा रहा-हर कोई अपने-अपने तरीके से मां की उपस्थिति को अनुभव कर रहा था।
मंदिर परिसर मानो एक जीवित शक्ति-स्रोत बन गया था। नीलाचल पर्वत की हर शिला, हर वृक्ष, हर हवा का झोंका जय मां कामाख्या के गूंजते स्वर में शामिल था। जैसे ही कपाट खुले, माता के प्रथम दर्शन पाने के लिए रात से ही लगी हजारों श्रद्धालुओं की कतारें धीरे-धीरे मंदिर की ओर बढ़ने लगीं। हर एक श्रद्धालु की आंखों में आशा, भक्ति और समर्पण झलक रहा था। पुष्प, नारियल, चुनरी और आस्था के साथ उन्होंने मां के चरणों में शीश नवाया। मां, मेरे जीवन में उजाला भर दो, मेरी कामनाओं को शुद्ध कर दो,-हर प्रार्थना में एक गूढ़ प्रेम था। वहीं कामाख्या देवालाय बरदलै कङ्क्षवद्र प्रसाद शर्मा और खोरू दलै हिमाद्री प्रसाद शर्मा ने बताया कि इस बार अंबुवासी में 9 लाख से अधिक भक्तों का समागम हुआ। वहीं गत वर्ष 13 लाख से अधिक श्रद्धालु अंबुवासी में आए थे। वहीं 30 हजार से अधिक भक्त कामाख्या मंदिर का प्ररिक्रमा किए। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने इस पावन अवसर पर सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपनी भावना साझा करते हुए लिखा-मैं मां कामाख्या से भारत की समृद्धि और कल्याण की प्रार्थना करता हूं। मां सभी को प्रचुरता का आशीर्वाद दें और हमारी सनातन सभ्यता को आगे बढ़ाएं। जय मां कामाख्या! अंबुवासी महायोग केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है-यह उस शक्ति तत्व का उत्सव है, जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड को संचालित करती है। मां कामाख्या की यह वार्षिक महायात्रा हमें सिखाती है कि प्रकृति ही परम शक्ति है, और शक्ति से ही सृजन होता है। और इस शक्ति की गोद में, नीलाचल के आंचल में, जब मां कामाख्या फिर से प्रकट होती हैं, तो भक्तों की आत्मा जैसे नये जीवन से भर जाती है। जय मां कामाख्या!