भीड़ में फंसने से 600 श्रद्धालु घायल
पुरी : ओडिशा के पुरी में शुक्रवार को रथ यात्रा उत्सव का मुख्य भाग शुरू होने के साथ ही हजारों लोगों ने भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के रथों से जुड़ी रस्सियों को श्री गुंदेचा मंदिर की ओर खींचा। श्री गुंडिचा मंदिर, 12वीं सदी के भगवान जगन्नाथ मंदिर से करीब 2.6 किलोमीटर दूर है। राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के रथों को खींचने वालों में शामिल थे। 'जय जगन्नाथ और 'हरि बोल के उद्घोष तथा झांझ-मंजीरे, तुरही और शंख की ध्वनि के बीच सबसे पहले शाम चार बजकर आठ मिनट पर भगवान बलभद्र का 'तालध्वज रथ आगे बढ़ा। इसके बाद देवी सुभद्रा का 'दर्पदलन रथ और अंत में भगवान जगन्नाथ का 'नंदीघोष रथ रवाना हुआ। जब यात्रा शहर के ग्रैंड रोड से होकर गुजर रही थी और भक्त रथ खींच रहे थे, तब पुजारियों ने उन (रथ) पर सवार देवताओं को घेर लिया। हजारों लोगों ने रथ खींचे, जबकि लाखों अन्य लोग भी उत्सव में हिस्सा लेने के लिए पुरी के इस प्रसिद्ध मंदिर शहर पहुंचे हैं। पुरी के राजा गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब द्वारा तीनों रथ पर 'छेरापहंरा (रथों की सफाई) की रस्म पूरी करने के बाद रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। भक्तों द्वारा खींचे जाने से पहले तीनों रथ पर अलग-अलग रंगों के लकड़ी के घोड़े लगाए गए। वहीं रथ यात्रा उत्सव के दौरान भारी भीड़ उमड़ने के कारण 600 से अधिक श्रद्धालुओं को चोटों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस कारण रथ यात्रा में काफी देरी हुई, खास तौर पर भगवान बलभद्र के तलध्वज रथ को खींचने में, जिससे अव्यवस्था फैल गई। रथ यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले एक मोड़ पर रथ को खींचने में काफी कठिनाई हुई, जिसके कारण जुलूस की गति धीमी हो गई। रथ के रुकने से मौके पर काफी ज्यादा तादाद में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई। इससे पहले, शुक्रवार को यहां दो घंटे से अधिक समय तक चली औपचारिक 'पहांडी रस्म के बाद भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ अपने-अपने रथों पर सवार हुए। 'पहांडी शब्द संस्कृत शब्द 'पदमुंडनम से आया है, जिसका अर्थ है पैर फैलाकर धीमी गति से कदम उठाना। (भाषा