गुजरात का सूरत शहर प्रदूषण के खिलाफ जंग में मिसाल बनता दिख रहा है। यहां साइकिलों को बढ़ावा देने के साथ साथ पेड़ लगाने का संदेश देते हुए दो प्रेरक मामले सामने आए हैं- बिना प्रदूषण वाले वाहनों का प्रचार। सूरत के एनआईटी में धूल खा रही पुरानी साइकिलों को रिसायकल कर के जरुरत मंदों को देने का प्रोजेक्ट सूरत के साइकिल मेयर सुनील जैन ने शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना है। संयुक्त राष्ट्र दुनियाभर में नॉन मोटर व्हीकल को प्रमोट करने के लिए कई अभियान चला रहा है, जिसके लिए 2035 तक का समय दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र अभियान में भारत ने भी प्रतिबद्धता दिखाई है। सूरत के रीसायकल करने के प्रोजेक्ट की चर्चा यूरोप में होने वाली है। नॉन मोटर व्हीकल को प्रमोट करने के लिए सूरत में शुरू किए गए प्रोजेक्ट को अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के लिए भेजा जायगा।वर्ष 2020 में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय बाइसिकिल मेयर कांसिल में इस प्रोजेक्ट के लाभों के बारे में चर्चा की जाएगी।
पुरानी सायकिलों का फिर से उपयोग : सूरत के बाइसिकिल मेयर सुनील जैन साइकिल पर काम कर रहे हैं। उनका मुख्य उद्देश्य है की लोग मोटर व्हीकल से साइकिल पर शिफ्ट करवाना है, जो साइकिल को लोग उपयोग नहीं कर रहे हैं और पड़ी-पड़ी धूल खा रही है उन्हें रिपेयर कर के जरुरत मंद लोगों को देने पर फोकस किया जा रहा है। बाइसिकिल कैपिटल के रूप में अपनी पहचान बना चुकी नीदरलैंड की संस्था संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 2030 के ऊपर काम कर रहा है, जिसका लक्ष्य 2030 तक आधी जनसंख्या साइकिल पर लेकर आना है।