मरीज या किसी बीमार जानवर को अस्पताल पहुंचाने वाली एंबुलेंस एक आम बात है, लेकिन लातूर में पेड़-पौधों के लिए ट्री एंबुलेंस बनाई गई है। सड़क किनारे लगे पेड़ और घरों के बगीचों में लगे पौधों के इलाज के लिए ट्री एंबुलेंस चलाई गई है। बीएससी हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई करके संगमेश्वर बोमणे पिछले 14 साल सें पेड़ संरक्षण का कार्य संगमेश्वर कर रहे हैं। वृक्ष पर लगी कीट-फफूंदी जैसे रोगोंपर इलाज के मुफ्त कार्य संगमेश्वर करते हैं। पहले उन्हें लातूर शहर से फोन कॉल्स आते थे और पेड़-पौधों के कीट या कवक पर दवा या कीटनाशक की मांग की जाती थी। मोबाइल नंबर देकर लोगों से जुड़ा : इस पर उपाय के तौर पर उसने ट्री एम्बुलेंस चलाने का फैसला किया। आज यह ट्री एम्बुलेंस शहर के वृक्ष के रोग के इलाज के लिए उपयुक्त साबित हुआ ह॥ इस ट्री एम्बुलेंस में मायक्रोन्यूट्रियंट्स, कीटनाशक दवाएं, ब्रश कटर, 60 फीट लंबी पेड़ धोने वाली मशीन, पानी, तमाम उपकरण, वृक्ष पर कीटनाशक छिड़काव करने वाली मशीन इस ट्री एम्बुलेंस में उपलब्ध है। सोशल मीडिया पर मोबाइल नंबर देकर संगमेश्वर ने खुद को लोगों से जोड़ा है। ट्री एम्बुलेंस चलाने वाला संगमेश्वर बोमणे बताता हैं कि यह ट्री एंबुलेंस की कल्पना मेरे मन में आई। वृक्षों के लिए काम करता हूं, इसलिए कई लोग फोन करते हैं। मैं सिर्फ फोन पर लोगों को बोलता था, लेकिन अब एंबुलेंस बनने के बाद लोगों के लिए भेजता हूं। इससे पेड़ों का अच्छी तरह से मेंटिनेंस होता है। इसमें पूरी मशीनरी है। सोशल मीडिया पर मोबाइल नंबर दिया गया है। संगमेश्वर ने बताया कि महाराष्ट्र में सबसे कम पेड़ लातूर में हैं। ज्यादा पेड़ लगाए जाएं और जितने भी पेड़ हैं वे स्वस्थ्य रहें, इसलिए यह सब करता हूं। इसमें पैसे मिलते नहीं, लेकिन पेड़ बचते हैं। यही मेरे लिए खुशी की बात है। आगे और 4 एंबुलेंस लेने वाला हूं। पूरे मराठवाडा से फोन आते हैं।
इंसानों और जानवरों के बाद अब पेड़ों के लिए आई ‘ट्री एंबुलेंस’
