केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में असम और मेघालय के बीच ऐतिहासिक सीमा समझौता हुआ है। इस समझौते पर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा तथा मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही दोनों राज्यों के बीच 50 साल पुराने सीमा विवाद का पहला चरण सुलझ गया है। मालूम हो कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सकारात्मक पहल कर रहे थे। असम-मेघालय के बीच 884.9 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। 12 क्षेत्रों में दोनों राज्यों के बीच विवाद है, जिसको लेकर कई बार झड़प हो चुकी है। वर्ष 2010 में लैंगपीट में पुलिस गोलीबारी हुई थी, जिसमें चार मारे गए थे। वर्ष 1972 में मेघालय को अलग राज्य की मान्यता मिली थी। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने पुराने सीमा विवाद को हल करने के लिए मेघालय के मुख्यमंत्री के साथ बैठक कर पहल शुरू की थी। दोनों राज्यों ने अपने-अपने क्षेत्र में सीमा की वर्तमान स्थिति का जायजा लेने के लिए एक-एक समिति का गठन किया था। दोनों राज्यों की समितियों ने अपनी-अपनी सरकारों को रिपोर्ट सौंपी थी। उसके बाद दोनों राज्यों के मंत्रियों की उपस्थिति में सीमावर्ती क्षेत्र में संयुक्त सर्वेक्षण का काम भी किया गया था। तमाम रिपोर्टों के बाद 29 जनवरी को गुवाहाटी में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। उसके बाद 31 जनवरी को इसकी जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया। मालूम हो कि विवादित 12 जगहों में केवल जगहों पर ही दोनों राज्यों के बीच समझौता हुआ है। हालांकि सीमा लंबाई की दृष्टि से लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र विवाद मुक्त हो गया है। पहले चरण में ताराबारी, गिजांग, हाहिम, बोकलापाड़ा, खानापाड़ा-पिलिंगकाटा एवं रातचेरा क्षेत्र में विवाद खत्म हो गया है। बाकी के अन्य छह क्षेत्रों में आगे पहल की जाएगी। 36.79 वर्ग कि.मी. विवादित भूमि में से 18.5 वर्ग कि.मी. भूमि असम के हिस्से में रहेगा, जबकि शेष 18.28 वर्ग कि.मी. भूमि मेघालय के हिस्से में जाएगा। यह सीमा विवाद पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बनेगा। मालूम हो कि असम के साथ मेघालय, नगालैंड, अरुणाचल एवं मिजोरम का सीमा विवाद वर्षों से चल रहा है। सीमा विवाद को लेकर संबंधित राज्यों के साथ कई बार झड़प भी हो चुकी है। खासकर मिजोरम के साथ हुए झड़प में असम पुलिस के कई जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इसी तरह नगालैंड एवं अरुणाचल के साथ भी समय-समय पर झड़प की घटनाएं होती रहती हैं। सीमा विवाद से संबंधित कई मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए जो पहल की है वह वास्तव में स्वागत योग्य है। पूर्वोत्तर दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी ऐसी पहल करना चाहिए। सीमा विवाद सुलझने से शांति लौटेगी, जिससे विकास प्रक्रिया में तेजी आएगी।
सीमा समझौता
