रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हुए बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन का राजनीतिक एवं सामरिक दृष्टि से काफी महत्व है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के सामने एक चुनौती पेश कर दी है। ऐसी स्थिति में क्षेत्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देना जरूरी हो गया है। बंगाल की खाड़ी से संबद्ध देशों का संगठन बिम्स्टेक आज के समय में ज्यादा प्रासंगिक हो गया है। चीन की तरफ से मिल रही चुनौती को देखते हुए बिम्स्टेक के सदस्य देशों को आपस में और ज्यादा सहयोग करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिखर सम्मेलन को वर्चुअल संबोधित करते हुए कहा कि बंगाल की खाड़ी को संपर्क, समृद्ध और सुरक्षा का क्षेत्र बनाया जाए। भारत बिम्स्टेक सचिवालय के परिचालन बजट को बढ़ाने के लिए सहयोग के रूप में दस लाख अमरीकी डॉलर प्रदान करेगा। मोदी ने कहा कि बिम्स्टेक और सक्रिय बनाने की जरूरत है ताकि क्षेत्रीय सुरक्षा को अधिक प्राथमिकता मिल सके। अब समय आ गया है कि इस संगठन का विजन दस्तावेज तैयार करने के लिए विशिष्ट व्यक्तियों का एक समूह गठित किया जाए। इस सम्मेलन के दौरान सात बिंदु निश्चित किए गए हैं, जिसमें सुरक्षा संबंधी काम की जिम्मेवारी भारत निभाएगा। सम्मेलन में सदस्य देशों के बीच मिलकर आतंकवाद एवं हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने पर सहमति बनी है। बैठक में बंदरगाह केंद्रों, नौका सेवाओं, तटीय जहाजरानी, ग्रिड कनेक्टिविटी और मोटर वाहनों की आवाजाही पर विचार-विमर्श किया गया ताकि इस क्षेत्र में कोई समस्या पैदा नहीं हो। अंतर्राष्ट्रीय अपराधों एवं मादक पदार्थों की तस्करी तथा साइबर हमले जैसी चुनौतियों से निपटने पर भी चर्चा हुई। मालूम हो कि वर्ष 2004 में बंगाल की खाड़ी से संबंधित चार देशों भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश एवं थाईलैंड ने बिम्स्टेक की स्थापना की थी। बाद में नेपाल, म्यामां एवं भूटान को भी शामिल कर लिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य परिवहन संपर्क को लेकर एक मास्टर प्लान तैयार करना है, ताकि इस क्षेत्र में कोई बाधा उपस्थित न हो। हिंद-प्रशांत क्षेत्र तथा हिंद महासागर में जिस तरह चीन का दबदबा बढ़ता जा रहा है, वैसी स्थिति बिम्स्टेक की बड़ी भूमिका होगी। पाकिस्तान गलत नीतियों के कारण जिस तरह सार्क निष्प्रभावी हो गया है, उसको देखते हुए बिम्स्टेक की भूमिक बढ़ गई है। भारत ने अब सार्क की जगह बिम्स्टेक को  प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया है। इसमें भी पाकिस्तान को छोड़कर सार्क के सभी देश शामिल हैं। चीन की बढ़ते कदम पर अंकुश लगाने के लिए भारत ने बिम्स्टेक को सक्रिय कर अच्छा कदम उठाया है। भारत को घेरने के लिए चीन की रणनीति का इसे जवाब के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस संगठन को शक्तिशाली बनाने के लिए जो कदम उठाए हैं वह भारत के लिए कारगर साबित होगा।