असम में बाढ़ का तांडव शुरू हो चुका है। लगातार हो रही बारिश के कारण ब्रह्मपुत्र का जलस्तर ऊंचा हो गया है तथा बाढ़ का पानी चारों तरफ फैल चुका है। अभी तक राज्य के 29 जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, जिससे छह लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो चुके हैं। बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए राहत एवं बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों को बुला लिया गया है। एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ के जवान बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लोगों को बचाने में लगे हुए हैं। भारी बारिश के कारण हो रहे भू-कटाव से बराक घाटी का रेल संपर्क शेष असम से टूट गया है। लमडिंग-बदरपुर सेक्शन में हाफलांग के पास भूस्खलन से रेलवे स्टेशन को भारी नुकसान पहुंचा है। बाढ़ की ऐसी विभीषिका हुई कि वहां खड़ी ट्रेन भी पलट गई। रेलवे के अधिकारी एवं कर्मचारी ट्रेन सेवा फिर से बहाल करने के लिए युद्ध स्तर पर लगे हुए हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि अभी लोगों को ट्रेन सेवा के लिए इंतजार करना पड़ेगा। फंसे ट्रेन यात्रियों को गंतव्य स्थान पर पहुंचाने के लिए असम सरकार विशेष उपाय कर रही है। हवाई मार्ग से ऐसे यात्रियों को भेजने के लिए विमान कंपनी के साथ बातचीत की गई है। कड़ी मशक्कत के बाद सड़क मार्ग को फिर से बहाल किया गया है। असम सरकार ने बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए अपने दो मंत्रियों परिमल शुक्ल वैद्य एवं अशोक सिंघल को बराक घाटी, केशव महंत एवं पीयूष हजारिका को होजाई भेजा है। ये मंत्री वहां की स्थिति का आकलन कर राहत एवं बचाव कार्य को तेज करने के लिए काम करेंगे। मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खाद्यान्नों की कोई कमी नहीं है। केंद्र सरकार ने आवश्यक खर्च के लिए एक हजार करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। इधर कछार जिला प्रशासन ने जिले के सभी शिक्षण संस्थानों एवं गैर जरूरी निजी संस्थानों को ४8 घंटे के लिए बंद करने का आदेश दिया है। लगातार हो रही बारिश राहत एवं बचाव कार्य में बाधा उपस्थित कर रही है। असम में प्रकृति का रौद्र रूप सामने आ गया है। विकास कार्य के नाम पर दुनिया में प्रकृति के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है कि उसका नतीजा सामने आ रहा है। दुनिया में बढ़ता तापमान एवं बदलता जलवायु इसका जीता-जागता उदाहरण है। असम में प्रत्येक वर्ष बाढ़ की समस्या होती है। असम के राजनीतिक दलों एवं अन्य संगठनों द्वारा यहां बाढ़ समस्या को राष्ट्रीय समस्या घोषित करने की मांग होती रही है। केंद्र द्वारा बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद इस दिशा में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। केंद्र एवं राज्य सरकार को बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए ठोस पहल करने की जरूरत है। ऐसा देखा जाता है कि बरसात शुरू होने के बाद ही प्रशासन द्वारा भागदौड़ शुरू होती है। उम्मीद है कि नए मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा के नेतृत्व में असम सरकार इस बार की भयावह समस्या का समाधान करने में सक्षम होगी। बाढ़ पीड़ितों को बचाने एवं राहत सामग्री पहुंचाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए सामाजिक एवं दूसरे संगठनों को भी आगे आना चाहिए।
असम में बाढ़ की विभीषिका
