नगांव जिले के बटद्रवा पुलिस थाने को क्रुद्ध लोगों ने आग लगाकर जला दिया। इस घटना में पुलिस थाने में मौजूद हथियार भी बर्बाद हो गए। ऐसी घटना की जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है। किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। दूसरी तरफ पुलिस कस्टडी में सफिकुल इस्लाम नामक व्यक्ति की मौत हो गई। इस तरह की घटना को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। पुलिस की जिम्मेवारी है कि अपने कस्टडी में लिए गए लोगों की सुरक्षा पर पूरा ध्यान दे। इस घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि असलियत सामने आ सके। दोनों ही घटनाएं चर्चा का विषय बन गई हैं। पुलिस ने थाने में आग लगाने की घटना को लेकर अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया है तथा कुछ लोगों से पूछताछ हो रही है। इस घटना में पकड़े गए पांच आरोपी के घरों को पुलिस ने बुलडोजर लगाकर तोड़ दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने कहा है कि राज्य में इस तरह की घटनाएं बर्दश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर अभियान जारी रहेगा। सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने राज्य में माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल शुरू किया था। उसके बाद मध्य प्रदेश तथा दिल्ली में भी अवैध कब्जा हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल हो रहा है। नगांव की घटना की जांच के लिए असम पुलिस ने एसआईटी का गठन किया है। असम के विशेष पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने कहा है कि नगांव घटना की जांच जेहादी एंगल से भी की जाएगी। पुलिस को संदेह है कि इस घटना के पीछे जेहादियों का हाथ हो सकता है। एसआईटी को 45 दिनों के भीतर अपनी जांच पूरी करने तथा 60 दिनों के अंदर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने को कहा गया है। असम पुलिस के महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत ने भी कहा है कि बटद्रवा की घटना में हिस्ट्रीशीटर बदमाशों का हाथ है। वे लोग थाने में आग लगाकर अपना रिकॉर्ड जलाने की कोशिश में थे। मालूम हो कि असम के बरपेटा एवं बंगाईगांव जिले में जेहादियों के नेटवर्क का पता चला था। पुलिस ने इस संबंध में उस क्षेत्र से कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है। मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा ने असम पुलिस को ड्रग्स, जेहादियों एवं आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए छुट दे दी है। लेकिन इस छुट का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। नगांव की घटना ने असम पुलिस पर भी कई सवाल खड़े किए हैं। इस घटना से निपटने में असम पुलिस पूरी तरह से विफल रही है। पुलिस कस्टडी में सफिकुल की मौत के बाद उपजे आक्रोश से निपटने के लिए नगांव पुलिस खासकर बटद्रवा थाने को जो तैयारी करनी थी, उसमें विफल रही। पुलिस ने बटद्रवा थाने के प्रभारी को निलंबित कर दिया है। इस घटना को देखकर अब असम पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष ट्रेनिंग देने की जरूरत है। साथ में पुलिस-पब्लिक संबंधों को और बेहतर बनाने की जरूरत है, ताकि ऐसे अवसर पर उनका सहयोग मिल सके। इस तरह की घटना के लिए उकसाने वाले संगठनों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। साथ में राजनीतिक दलों को इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए ताकि स्थिति जल्द से सामान्य हो सके।
अब असम में भी बुलडोजर
