जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ाने के क्षेत्र में पाकिस्तान के साथ-साथ हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता तथा दूसरे स्थानीय नेता जिम्मेदार हैं। पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई अपने मकसद को पूरा करने के लिए जम्मू कश्मीर के स्थानीय नेताओं का इस्तेमाल करती रही है। यही कारण है कि सुरक्षाबल तमाम कोशिशों के बावजूद आतंकवाद पर पूरी तरह काबू पाने में विफल रहे हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद स्थिति बदल गई है। सुरक्षाबल भी जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए आतंकियों का सफाया कर रहे हैं। दूसरी तरफ सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों के मददगारों पर नकेल कसने के लिए हर तरह की कार्रवाई करने में जुटी हुई है। आतंकियों को मिलने वाली आॢथक मदद पर भी रोक लगाने के लिए सरकार ने कई तरह के कदम उठाए हैं। कई मामलों की जांच एनआईए कर रही है। इसी तरह के एक मामले की सुनवाई दिल्ली के पटियाला कोर्ट में चल रही थी। पटियाला कोर्ट ने 25 मई को एक अहम फैसला सुनाते हुए जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता एवं पूर्व आतंकी यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाई है। मलिक पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने, टेरर फंङ्क्षडग करने, आतंकी साजिश रचने और भारत के खिलाफ युद्ध छेडऩे के आरोप में यह फैसला सुनाया है। भारतीय वायु सेना के चार निहत्थे अफसरों की हत्या, पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ति मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया के अपहरण सहित कई मामलों में मलिक आरोपी था। महत्वपूर्ण बात यह है कि यासीन मलिक ने केस की सुनवाई के दौरान खुद भी अपना गुनाह कबूल कर लिया था। हालांकि एनआईए ने मलिक के गुनाहों को देखते हुए फांसी की सजा की मांग की थी। दो मामलों में कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई, जबकि बाकी मामले में दस-दस वर्ष की सजा दी गई है। सभी सजा साथ-साथ चलेगी। एनआईए का आरोप है कि वर्ष 2017 में कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों में जो तेजी आई थी उसके पीछे यासीन मलिक का हाथ रहा है। जम्मू-कश्मीर में माहौल बिगाडऩे के क्षेत्र में भी मलिक ने पाकिस्तान के साथ मिलकर काम किया। 11 फरवरी 1984 में जब मकबुल भट को फांसी की सजा सुनाई गई, उस वक्त यासीन ताला पार्टी बनाकर इसका विरोध किया था। ऐसे व्यक्ति को कड़ी सजा देना न्यायोचित है। एक तरफ हमारे सुरक्षाबल जान पर खेलकर आतंकियों का सफाया कर रहे हैं तथा देश के राष्ट्रीय हित की रक्षा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अलगाववादी नेता देश की सुविधा का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के लिए काम कर रहे हैं। एनआईए के जांच के दौरान ऐसे बहुत नेताओं का खुलासा हुआ है जिनके पास पाकिस्तान से फंडिंग आती थी। इन अलगाववादी नेताओं के बच्चे देश से बाहर पढ़ रहे हैं, जबकि यही नेता कश्मीर के युवाओं के हाथ में हथियार एवं पत्थर पकड़ा रहे हैं। यासीन मलिक को मिली उम्र कैद की सजा से ऐसे नेताओं के बीच एक कड़ा संदेश गया है।
आतंकवाद पर बड़ी चोट
