असम की राजधानी गुवाहाटी में एक्टईस्ट पॉलिसी के तहत एक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें नदी मार्ग के विस्तार सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। इस सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. एके अब्दुल मोमेन, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तथा एशियाई महादेश के कई देशों के राजदूत शामिल हुए। दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत एक्स ईस्ट तथा पड़ोसी प्रथम नीति के तहत काम कर रहा है जिसका प्रभाव दक्षिण एशिया के देशों के बाहर भी पड़ेगा। इस संदर्भ में जयशंकर ने बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी के देशों) की महत्ता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि म्यामां का भूमि संपर्क तथा बांग्लादेश के समुद्री संपर्क से वियतनाम और फिलिपींस तक रास्ता खुल जाएगा। असम में नदी मार्ग के विस्तार से आशियान देशों के साथ व्यापार के क्षेत्र में लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने कहा कि असम से यूरोपीय देशों में उत्पादों का निर्यात किया जाता है। नदी मार्ग के विस्तार से असम के उत्पाद आसियान देशों को भेजे जा सकते हैं। जल सहयोग असम सहित पूर्वोत्तर के लिए कारोबार एवं पर्यटन का नया मार्ग खोल सकता है। भारत सरकार पूर्वोत्तर के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए काफी कदम उठा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने संबोधन में कहा कि मोदी सरकार पूर्वोत्तर में रेल, सडक़ एवं हवाई मार्ग के विकास के लिए 1.34 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रही है। केंद्र सरकार गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं बराक को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में विकसित करने के लिए काम कर रही है। नदी मार्ग से उत्पादों को भेजने में काफी कम खर्च होता है। इसलिए जल मार्ग का विस्तार करना जरूरी है। असम के लिए बांग्लादेश, म्यामां एवं भूटान काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि तीनों देशों की सीमा भारत से लगती है। असम हर वर्ष बाढ़ एवं भूस्खलन जूझ रहा है। ऐसी स्थिति में अगर बुनियादी ढांचे का विकास होता है तो असम को भी आॢथक विकास का अवसर मिलेगा। असम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र में वन्य जीवन पर्यटन, चाय पर्यटन एवं नदी पर्यटन की काफी गुंजाइश है। इस क्षेत्र में पूंजी निवेश से राज्य की आमदनी बढ़ सकती है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर आवागमन में ढिलाई देने से कारोबार एवं पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। असम के मुख्यमंत्री ने इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय सीमा को खोलने की वकालत की। गुवाहाटी पूर्वोत्तर क्षेत्र का मुख्य द्वार है। ऐसी स्थिति में यहां बुनियादी सुविधाओं के विकास की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक्ट-ईस्ट पॉलिसी के तहत लगातार पूर्वोत्तर क्षेत्र पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मोदी के शासनकाल में पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जितना काम किया गया, शायद उतना पहले कभी नहीं हुआ। आसियान देशों को हवाई मार्ग से जोडऩे के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं। आसियान देशों ने भी भारत में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाई है। चीन के साथ बढ़ते तनाव एवं बदलते राजनीति क्रम को देखते हुए भारत ने भी आसियान देशों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए हरसंभव कोशिश की है। गणतंत्र दिवस समारोह पर भी आसियान देशों के प्रमुखों को भारत आमंत्रित किया गया था। चीन पर नकेल कसने के लिए आसियान देशों को भारत के पक्ष में रखना जरूरी है। हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में प्रगति हुई है। इसी तरह जापान ने भी भारत में पूंजी निवेश के लिए काफी दिलचस्पी दिखाई है। जापानी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान इस संबंध में कुछ बड़ी घोषणाएं की गई थीं। कुल मिलाकर गुवाहाटी में आयोजित दो दिवसीय एशियाई संगम नदी सम्मेलन असम सहित पूर्वोत्तर के लिए कारोबार एवं निवेश के लिए बेहतर अवसर प्रदान करेगा।
नदी मार्ग विस्तार सम्मेलन
