पंद्रह राज्यों में राज्यसभा की 57 सीटों के लिए  10 जून को चुनाव होने जा रहा है। इस चुनाव के बाद राज्यसभा में पार्टियों की संख्या में काफी परिवर्तन हो जाएगा। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्यसभा में स्थिति लगातार मजबूत हो रही है। 245 सदस्यीय राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत के लिए 123 सांसदों की जरूरत होगी। वर्ष 2022 में भाजपा की संख्या बढ़कर 101 हो गई है। इस चुनाव में भाजपा बहुमत के नजदीक पहुंच जाएगी। इस चुनाव के माध्यम से राजनीतिक पार्टियां ने अपने राजनीतिक हितों को ध्यान में रखकर उम्मीदवारों का चयन किया है। कांग्रेस ने इस चुनाव के लिए कुल दस उम्मीदवारों की घोषणा की  है। उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद सबसे ज्यादा कांग्रेस में ही असंतोष उभर कर सामने आया है। पार्टी ने छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान से अपने स्थानीय उम्मीदवारों को दरकिनार कर बाहरी उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसको लेकर पार्टी में विरोध शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ से राजीव शुक्ला एवं रंजीता रंजन, हरियाणा से अजय माकन, कर्नाटक से जयराम रमेश, महाराष्ट्र से इमरान प्रतापगढ़ी एवं राजस्थान से मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला एवं प्रमोद तिवाड़ी को टिकट दिया गया है। इसको लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ आनंद शर्मा, पवन खेड़ा एवं गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं ने विरोध व्यक्त किया है। नाराज नेताओं का आरोप है कि उम्मीदवारों के चयन के दौरान स्थानीय एवं बाहरी नेताओं के बीच संतुलन कायम नहीं रखा गया। केवल गांधी परिवार के वफादार लोगों को ही तरजीह दी गई। इससे कांग्रेस की दिशाहीनता दिखाई देती है। भाजपा ने भी प्रकाश जावड़ेकर एवं मुख्तार अब्बास नकवी जैसे नेताओं को टिकट नहीं दिया है। ऐसा लगता है कि भाजपा अपने हिंदुवादी एजेंडे पर आगे बढ़ रही है। अब राज्यसभा में भी भाजपा मजबूत स्थिति में पहुंच जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में भाजपा की नई पीढ़ी को खड़ा करना चाहते हैं। समाजवादी पार्टी ने भी उत्तर प्रदेश से राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ कपिल सिब्बल को उम्मीदवार बनाकर नई राजनीतिक दिशा का संकेत दिया है। जयंत को टिकट देकर अखिलेश यादव ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि उनकी पार्टी अगले लोकसभा चुनाव में गठबंधन को और बड़ा आकार दे सकती है। कपिल सिब्बल को टिकट देकर समाजवादी पार्टी ने स्व. अमर सिंह की जगह भरने का भरसक प्रयास किया है। कपिल सिब्बल दिल्ली में भाजपा के लिए काम करेंगे। देश की क्षेत्रीय पार्टियां चुनाव को वक्त टिकट देने में अपने परिवार का पूरा ख्याल रखती है। अखिलेश ने जयंत चौधरी एवं कपिल सिब्बल को टिकट देकर यह दिखाने का प्रयास किया है कि उनकी पार्टी अब परिवारवाद से विमुख हो रही है। उत्तर प्रदेश में कुल 11 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है जिसमें भाजपा को सात तथा समाजवादी पार्टी को तीन सीटों पर जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। अब 11वें सीट के लिए भाजपा एवं सपा के बीच जोड़-तोड़ चलेगा। बिहार में राज्यसभा की पांच सीटों के लिए चुनाव हो रहा है जिसमें भाजपा और राष्ट्रीय जनता दल के पक्ष में दो-दो सीटें जाएंगी। एक सीट पर जनता दल (यू) के उम्मीदवार की जीत निश्चित है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार जनता दल (यू) ने अपने कोटे के केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को उम्मीदवार नहीं बनाया है। ऐसी स्थिति में आरसीपी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहना नामुमकीन है। मंत्रिमंडल में बने रहने के लिए उन्हें सांसद बनने की जरूरत होगी। कुल मिलाकर राज्यसभा चुनाव देश की राजनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।