राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को हुए मतदान के बाद अब दोनों ही उम्मीदवारों द्रौपदी मुर्मू एवं यशवंत सिन्हा के भविष्य मतपेटियों में बंद हो गए हैं। चुनाव परिणाम की घोषणा 21 जुलाई को होगी। इसी बीच उपराष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) एवं विपक्ष की तरफ से उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है। राजग की तरफ से पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपालन जगदीप धनखड़ प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में धनखड़ के नाम पर मुहर लगी है। धनखड़ ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। विपक्ष की उम्मीदवार एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा 19 जुलाई को अपना नामांकन पत्र भरेंगी। 17 विपक्षी पार्टियों की बैठक में अल्वा के नाम पर सर्वसम्मत राय बनी। बैठक के बाद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने मार्गरेट अल्वा के नाम की घोषणा की। इस बार विपक्ष सत्ता पक्ष के द्वारा उम्मीदवार घोषित करने का इंतजार कर रहा था। अब दोनों पक्षों द्वारा पत्ता खोल देने के बाद राजनीति का दौर शुरू हो गया है। जगदीप धनखड़ राजस्थान के जाट समाज से आते हैं। उनकी पृष्ठभूमि एक साधारण किसान परिवार से जुड़ी हुई है। जाट नेता के रूप में धनखड़ काफी लोकप्रिय हैं। एक-एक बार वे लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। राज्यपाल के अलावा वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी मंत्री की हैसियत से काम कर चुके हैं। देश में हुए किसान आंदोलन के बाद देश का जाट समाज कुछ हद तक भाजपा से दूर चला गया है। धनखड़ के माध्यम से भाजपा किसानों एवं जाट समाज के साथ फिर से नजदीकी कायम करना चाहती है। अगले वर्ष राजस्थान, हिमाचल प्रदेश सहित कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा को धनखड़ के माध्यम से चुनावी लाभ मिल सकता है। राजस्थान में 200 में से लगभग 40 सीटों पर जाट मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। राजस्थान के बाद हरियाणा में भी चुनाव होगा, जहां लगभग 35 सीटों पर जाटों का दबदबा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 18 सीटों पर जाट निर्णायक स्थिति में हैं। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल रहते हुए धनखड़ ने जिस तरह ममता सरकार को कदम कदम पर घेरने का प्रयास किया, उससे भाजपा नेतृत्व काफी प्रभावित था। यही कारण है कि जगदीप धनखड़ को भाजपा हाई कमान ने उपराष्ट्रपति बनने का मौका दिया है। इस रेस में मुख्तार अब्बास नकवी, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान तथा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी शामिल थे। कांग्रेस ने इस बार ईसाई महिला मार्गरेट अल्वा को मौका देकर राजनीतिक हित साधने की पूरी कोशिश की है। श्रीमती अल्वा एक बार लोकसभा तथा चार बार राज्यसभा की सदस्य रह चुकी हैं। मार्गरेट अल्वा राजस्थान सहित कुछ राज्यों की राज्यपाल भी रह चुकी हैं। कर्नाटक की श्रीमती अल्वा का ईसाई समाज पर अच्छा प्रभाव है। वर्ष 2023 में कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस अल्वा के माध्यम से ईसाई सहित दूसरे अल्पसंख्यक मतदाताओं को साधने की कोशिश करेगी। वर्ष 2024 में त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड एवं मिजोरम में भी चुनाव होने वाले हैं। पूर्वोत्तर के इन चारों राज्यों में ईसाई मतदाताओं की अच्छी संख्या है। इसका भी लाभ कांग्रेस को मिल सकता है। 19 जुलाई को नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि है, जबकि 6 अगस्त को मतदान होगा। उपराष्ट्रपति पद के लिए लोकसभा एवं राज्यसभा के सांसद ही मतदान करते हैं, जिनकी कुल संख्या 790 है। आंकड़ों पर गौर करने पता चलता है कि राजग उम्मीदवार की जीतना लगभग तय है। कुछ विपक्षी पार्टियां भी समर्थन देने की घोषणा की है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि धनखड़ी अगले उपराष्ट्रपति हो सकते हैं।
उपराष्ट्रपति के लिए महामुकाबला
